नई सरकार बनने के बाद आरटीई के नीतिगत मामले पर होगा विचार
शिक्षा के अधिकार के तहत
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
शिक्षा के अधिकार का दायरा 8वीं कक्षा से बढ़ाकर 12वीं कक्षा तक करने का निर्णय एक गंभीर नीतिगत मामला है और इस पर केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद ही विचार हो सकेगा। आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को निजी स्कूलों में 12वीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर यह जानकारी केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर करके दी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से एक अधिकारी ने हलफनामा दायर कर बताया कि इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिस पर केंद्र सरकार को फैसला करना है। इस मामले पर मुख्य पीठ के समक्ष अगली तारीख पर सुनवाई होगी।
हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को शिक्षा का अधिकार के तहत 12वीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने का फैसला नीतिगत है। ऐसे में इस संबंध में केंद्र के साथ ही राज्य सरकारों की सहमति जरूरी है। शिक्षा का अधिकार एक्ट के तहत 12वीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र व राज्य सरकार को अनुदान की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार के साथ केंद्र शासित प्रदेशों की भूमिका अनिवार्य है।
केंद्र सरकार ने कहा कि जब तक नई सरकार का गठन नहीं होता है तब तक दिल्ली सरकार ऐसे स्कूलों से संपर्क करे जोकि आठवीं के बाद आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को दाखिला देने से इन्कार कर रहा हो।
अदालत ने गैर सरकारी संस्थान सोशल जूरिस्ट की तरफ से दायर जनहित याचिका पर केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि निजी स्कूलों में आठवीं कक्षा के बाद आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को या तो फीस जमा करने को कहा गया या फिर स्कूल छोड़ने को कहा गया। अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने मांग की थी कि शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को 12वीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए।
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