बिल्डरों पर नकेल कसने को दिल्ली में गठित हुआ रेरा
वीके शुक्ला, नई दिल्ली बिल्डरों पर नकेल कसने के लिए दिल्ली सरकार ने रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी का गठन कर दिया है।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली
बिल्डरों पर नकेल कसने के लिए दिल्ली सरकार ने रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (रेरा) का गठन कर दिया है। अब बिल्डर सरकार के नियम-कानून मानने को बाध्य होंगे। प्रावधान किया गया है कि यदि बिल्डर ने निवेशकों के साथ ठगी की तो उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है। जिस प्रोजक्ट के लिए बिल्डर निवेशकों से पैसा लेगा, उसे उसी प्रोजक्ट पर ही खर्च करेगा। इसके लिए उसे अलग से खाता खुलवाना होगा। बिल्डर के खाते पर अथॉरिटी की नजर रहेगी। बिल्डर का पैसा खाते से तभी जारी होगा जब अथॉरिटी स्वीकृति देगी। बिल्डर को यह भी जानकारी अथॉरिटी को देनी होगी कि किस-किस प्रॉपर्टी डीलर को उसने फ्लैट बेचने के लिए अधिकृत किया है।
उपराज्यपाल की स्वीकृति पर गठित किए गए रेरा का चेयरमैन विजय एस मदान को बनाया गया है। मदान सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी हैं। रेरा का गठन पांच साल के लिए किया गया है और ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव व रमेश चंद्रा इसके सदस्य बनाए गए हैं। रेरा के गठन के लिए दिल्ली सरकार काफी समय से प्रयास कर रही थी। अखबारों में विज्ञापन भी निकाला गया था। चेयरमैन पद के आवेदन करने वालों का साक्षात्कार लेने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई थी। इससे पहले 1 मई 2017 से दिल्ली में अस्थायी रूप से रेरा के चेयरमैन की जिम्मेदारी डीडीए के उपाध्यक्ष को दी गई थी। रेरा का गठित होना इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि दिल्ली में लैंड पूलिंग पॉलिसी लागू हो चुकी है, जिससे बिल्डरों को बड़े स्तर पर फ्लैट बनाने का मौका मिल गया है। अभी सोसायटी बननी शुरू भी नहीं हुई हैं और ठगी के मामले सामने आने लगे हैं। विभिन्न नामों से फर्जी सोसायटी बनाकर बिल्डर लोगों को सदस्य बनाने का झांसा दे रहे हैं। रेरा से इस गोरखधंधे पर भी रोक लगेगी।