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पिछले साल की तुलना में दोगुना हुआ पराली का धुआं

संजीव गुप्ता नई दिल्ली इसे सरकारी स्तर की हीलाहवाली कहें या किसानों की ना-फरमानी. लेकिन इस साल अक्टूबर के पहले पखवाड़े में ही पराली का धुआं दोगुना हो गया है। पराली जलाने की घटनाएं भी पंजाब और हरियाणा दोनों ही राज्यों में पिछले साल के मुकाबले कहीं ज्यादा दर्ज की गई हैं। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था सफर इंडिया के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक 17 अक्टूबर 2019 को दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली के

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 08:37 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 08:37 PM (IST)
पिछले साल की तुलना में दोगुना हुआ पराली का धुआं
पिछले साल की तुलना में दोगुना हुआ पराली का धुआं

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली

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इसे सरकारी स्तर की हीलाहवाली कहें या किसानों की ना-फरमानी. लेकिन, इस साल अक्टूबर के पहले पखवाड़े में ही पराली का धुआं दोगुना हो गया है। पराली जलाने की घटनाएं भी पंजाब और हरियाणा में पिछले साल के मुकाबले कहीं ज्यादा दर्ज की गई हैं।

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था सफर इंडिया के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक 17 अक्टूबर 2019 को दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 8 फीसद थी, जबकि इस साल 17 अक्टूबर (शनिवार) को यह 19 फीसद दर्ज की गई है। सफर का अनुमान है कि पिछले साल दिल्ली के प्रदूषण में इस धुएं की अधिकतम हिस्सेदारी 44 फीसद पहुंची थी, लेकिन इस साल यह आंकड़ा ज्यादा भी हो सकता है।

दूसरी तरफ पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं भी इस साल तेजी से बढ़ रही हैं। अक्टूबर के पहले पखवाड़े में पिछले साल पंजाब में 1,631 घटनाएं सामने आई थीं, जबकि इस साल यह आंकड़ा 4,585 तक पहुंच चुका है। पिछले साल यहां इसी अवधि में 17 लाख मीट्रिक टन पराली निकली थी, जबकि इस साल यह आंकड़ा भी 40 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया है।

हरियाणा की भी कमोबेश यही हालत है। यहां पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले सिरसा, फतेहाबाद और कैथल में दर्ज हो रहे हैं। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एस नारायणन भी इस कड़वी सच्चाई से इन्कार नहीं करते। वह कहते हैं, इस साल पराली जलाने के मामले वाकई बढ़े हैं। हालांकि इसकी वजह इस साल फसल की जल्द कटाई शुरू होना भी है। एक अन्य वजह यह भी है कि लॉकडाउन के चलते इस साल फसल की कटाई के लिए श्रमिक भी नहीं मिल रहे। इसलिए भी शायद बहुत से किसान पराली जला रहे हैं। हालांकि आने वाले दिनों में पराली का यह धुआं दिल्ली की हवा को किस हद तक प्रदूषित करेगा, इस पर नारायणन ने कुछ भी कह पाने में असमर्थता जताई।


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