ऑक्सीजन पर अस्पतालों को चुकाना पड़ रहा ग्रीन टैक्स
विडंबना -फरीदाबाद से टैंकर से अस्पतालों में लाया जाता है लिक्विड ऑक्सीजन -सफदरजंग अस्पताल ने
रणविजय सिंह, नई दिल्ली :
गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज की घटना ने देश भर के स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अस्पतालों में गंभीर मरीजों के लिए ऑक्सीजन लाइफलाइन होती है। ऐसी महत्वपूर्ण चीज को लेकर दिल्ली के अस्पताल इन दिनों एक नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह चुनौती है ग्रीन टैक्स भरने का। यहां के सभी अस्पतालों को ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए हर महीने भारी भरकम ग्रीन टैक्स चुकाना पड़ रहा है। सफदरजंग अस्पताल प्रशासन इस पर आपत्ति जाहिर कर चुका है। अस्पताल प्रशासन ने राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर टैक्स से छूट दिए जाने की मांग की है। हालांकि सफदरजंग अस्पताल प्रशासन के इस मांग पर अब तक किसी ने संज्ञान नहीं लिया है। असल में दिल्ली में डीजल वाहनों के प्रवेश पर ग्रीन टैक्स चुकाना पड़ता है। दिल्ली के अस्पतालों में लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति भी फरीदाबाद से होती है। क्योंकि दिल्ली में लिक्विड ऑक्सीजन तैयार करने का संयंत्र नहीं है। इसलिए तमाम बड़े अस्पतालों में फरीदाबाद से ही टैंकर के जरिये लिक्विड ऑक्सीजन अस्पतालों में पहुंचाया जाता है, जिसे अस्पताल में बने टैंक में भर लिया जाता। अस्पतालों में लगे सेंट्रलाइज पाइप लाइन के जरिये ऑक्सीजन आइसीयू, ओटी व वार्ड में भर्ती मरीजों तक पहुंचता है।
सफदरजंग अस्पताल प्रशासन का कहना है कि दूध, सब्जी बुनियादी जरूरतों में शामिल है। इसलिए दूध व सब्जी के ट्रकों को यह टैक्स नहीं चुकाना पड़ता। एंबुलेंस को भी इस टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है, पर ऑक्सीजन जरूरी चीजों में शामिल नहीं है। जबकि जरूरतमंद मरीज ऑक्सीजन के बगैर जीवित नहीं रह सकते। फरीदाबाद से ऑक्सीजन लेकर पहुंचने वाले टैंकर को हर फेरे में 4500 रुपये का ग्रीन टैक्स चुकना पड़ता है। सफदरजंग अस्पताल में हर महीने 10 से 12 टैंकर आते हैं। इस लिहाज से हर महीने 45,000 से 54,000 ग्रीन टैक्स चुकाना पड़ रहा है। यह भी तब जब अस्पताल फंड की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में जाहिर तौर पर मरीजों के इलाज के फंड में से कटौती करनी पड़ती है। यह सिर्फ सफदरजंग अस्पताल की बात नहीं है। बल्कि एम्स, आरएमएल, लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज सहित तमाम अस्पताल इस समस्या से जूझ रहे हैं।