एम्स में अब सुपर स्पेशलिस्ट ही बन पाएंगे कैंसर सर्जन
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : एम्स ने कैंसर सर्जरी की गुणवत्ता व शिक्षा में सुधार के लिए सर्जिकल आंकोलॉज
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : एम्स ने कैंसर सर्जरी की गुणवत्ता व शिक्षा में सुधार के लिए सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग में कैंसर सर्जरी के डॉक्टरों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव किया है। नए प्रावधान के अनुसार, कैंसर सेंटर में अब कैंसर सर्जरी के सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर ही फैकल्टी बन पाएंगे। पहले ऐसा प्रावधान नहीं था। देश का सबसे बड़ा चिकित्सा संस्थान होने के नाते वैसे तो एम्स में यह कदम पहले उठाया जाना चाहिए था पर इसे कैंसर सर्जरी के सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी कह लें या चिकित्सा सुविधाओं में सुधार की धीमी रफ्तार पर संस्थान के इस कदम को देर से पर सही दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों (फैकल्टी) की नियुक्ति से कैंसर पीड़ित मरीजों को भी फायदा होगा।
उल्लेखनीय है कि देश में हर साल करीब 14.50 लाख लोग कैंसर से पीड़ित होते हैं। इसके बावजूद देश में कैंसर सर्जरी के सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भारी कमी है। इसलिए एम्स के कैंसर सेंटर के सर्जिकल आंकोलॉजी में भी नियुक्ति के लिए कैंसर सर्जरी में एमसीएच की डिग्री होना जरूरी नहीं था। पहले नियुक्ति का आधार कैंसर सर्जरी में स्नातकोत्तर और शोध कार्यो में अनुभव था। क्योंकि कैंसर सर्जरी में एमसीएच की डिग्री देने वाले संस्थान बहुत कम थे। हालांकि, पिछले चार-पांच सालों में स्थिति में सुधार हुआ है। एम्स में भी वर्ष 2012 में कैंसर सर्जरी में एमसीएच की पढ़ाई शुरू हुई।
एम्स कैंसर सेंटर के विभागाध्यक्ष डॉ. एसवीएस देव ने कहा कि वर्तमान में देश में 12-14 चिकित्सा संस्थान कैंसर सर्जरी में सुपर स्पेशियलिटी का कोर्स संचालित कर रहे हैं। इसलिए हर साल करीब 100 सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर तैयार हो रहे हैं। कैंसर सर्जरी में बेहतर प्रशिक्षित डॉक्टर सामने आ रहे हैं, इसलिए फैकल्टी की नियुक्ति के लिए सुपर स्पेशियलिटी डिग्री होना अनिवार्य कर दिया गया है। एम्स के झज्जर परिसर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआइ) का निर्माण चल रहा है। इस साल के अंत तक इसमें चिकित्सा सुविधा शुरू करने का लक्ष्य है। इसलिए डॉक्टरों की नियुक्ति भी होनी है। नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव से एनसीआइ के लिए भी कैंसर सर्जरी के बेहतर डॉक्टरों की नियुक्ति हो पाएगी।