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एनडीएमसी इलाके में लगे पेड़ खुद देंगे परिचय

फोटो : 3 डेल 701 एवं 702 परियोजना - क्यूआर कोड से मिल सकेगी पेड़ों की जानकारी - ने

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Jul 2018 09:08 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 09:08 PM (IST)
एनडीएमसी इलाके में लगे पेड़ खुद देंगे परिचय
एनडीएमसी इलाके में लगे पेड़ खुद देंगे परिचय

निहाल सिंह, नई दिल्ली

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लुटियंस दिल्ली की खूबसूरती देशभर में मशहूर है। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) अब यहां के पेड़ों को जुबान देने जा रही है ताकि वे खुद अपनी खूबसूरती व खासियत बयां कर सकें। इसके तहत जब आप पेड़ के सामने खड़े होकर एनडीएमसी की तकनीक का इस्तेमाल करेंगे तो पेड़ खुद ही अपना परिचय देंगे। आपको पता चल जाएगा कि यह पेड़ वसंत के मौसम में कैसा दिखता है, अन्य मौसम में इसका रूप कैसा हो जाता और इसमें फल कब आते हैं। एनडीएमसी के पास इस समय 1450 एकड़ का हरित क्षेत्र है। सात बड़े उद्यान और 6 नर्सरी हैं। इसके अलावा वर्ष 2016-17 की रिपोर्ट के मुताबिक, 1,15000 बडे़ पेड़ हैं।

एनडीएमसी के उद्यान विभाग के निदेशक एस चिल्लईया ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नेहरू पार्क एवं लोधी गार्डन के 200 हेरिटेज पेड़ों की जानकारी एनडीएमसी के मोबाइल एप पर मौजूद होगी। इन 200 पेड़ों का एक विशेष क्यूआर कोड भी तैयार किया जाएगा। इस क्यूआर कोड को पेड़ के नजदीक लगाया जाएगा। एनडीएमसी के एप्प के जरिये कोई भी नागरिक इस क्यूआर कोड को स्कैन करके पेड़ से संबधित जानकारी ले सकता है। कोड स्कैन होने के बाद पेड़ का नाम और उसकी पांच तस्वीरें भी लोगों को दिखेंगी। इन तस्वीरों में पेड़ का विभिन्न मौसम में रहने वाला रूप दिखेगा। साथ ही पेड़ के स्वास्थ्य और उसकी ऊंचाई की भी जानकारी मिल सकेगी। एनडीएमसी के अधिकारियों का कहना है कि इस योजना के सफल होने के बाद आने वाले समय में इस जानकारी का वीडियो भी उपलब्ध कराया जाएगा। लोगों को आभास होगा कि जैसे पेड़ खुद अपना परिचय दे रहा हो। 200 पेड़ों से शुरुआत के बाद आने वाले दिनों में अन्य पेड़ों को भी योजना के दायरे में लाया जाएगा।

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अध्ययन करने वालों को भी होगा फायदा

एनडीएमसी के एक अधिकारी के मुताबिक, इस योजना से उन छात्रों और वैज्ञानिकों को लाभ मिलेगा जो पेड़ों की विभिन्न जानकारियां जुटाना चाहते हैं। दूसरे राज्यों के लोग भी इसकी जानकारी लेने के लिए एनडीएमसी इलाके का रूख कर सकते हैं। साथ ही मौसम के अनुसार, पेड़ों की स्थिति की जानकारी होने से वह उसी मौसम में दिल्ली का रूख करके अपना अध्ययन पूरा कर सकेंगे। वहीं पेड़ की जानकारी मिलने की वजह से लोगों का पर्यावरण और पेड़ों के प्रति रुझान व लगाव भी बढ़ेगा।


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