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दिल्ली के करीब खाई में गिरी कार, हादसे में जान बची तो घर पर मौत ने गले लगाया

परिजन ने बिना पुलिस को सूचना दिए, चुपचाप युवक का अंतिम संस्कार कर दिया। पुलिस को अब हादसे की जानकारी मिली है। पीड़ित परिवार कोई कार्रवाई नहीं चाहता है।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 11:51 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 11:51 AM (IST)
दिल्ली के करीब खाई में गिरी कार, हादसे में जान बची तो घर पर मौत ने गले लगाया
दिल्ली के करीब खाई में गिरी कार, हादसे में जान बची तो घर पर मौत ने गले लगाया

गाजियाबाद (जेएनएन)। दिल्ली से सटे गाजियाबाद में भारी बारिश और बदहाल सड़कों की वजह से एक युवक की कार सोमवार को खाई में गिर गई। इस हादसे में तो युवक की जान बच गई, लेकिन इसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि घर आते ही मौत ने युवक को गले लगा लिया। उसकी उम्र लगभग 20 वर्ष थी। युवक की मौत के बारे में अब परिजन कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। यहां तक कि उन्होंने बिना पुलिस को सूचना दिए शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया है। हालांकि पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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बताया जा रहा है कि गाजियाबाद के मोदीनगर स्थित गोविंदपुरी में रहने वाला एक युवक सोमवार को बारिश के दौरान पिता को बिना बताए घर से कार ले गया था। टीकरी रजवाहे के पास उसकी कार अनियंत्रित होकर एक खाई में गिर गई। इस हादसे में युवक की जान किसी तरह बच गई। उसने फोन कर पिता को हादसे की सूचना दी। इस पर पिता ने उसे फोन पर ही जमकर डांट दिया।

बताया जा रहा है कि पिता ने युवक को डांटते हुए कहा कि वह घर आए तो वह उसे देखेंगे। हादसे से पहले ही सहम चुका युवक पिता की डांट के बाद बुरी तरह से डर गया। वह इस कदर डर चुका था कि घटनास्थल से किसी तरह घर पहुंचा। इसके बाद पिता की डांट से बचने के लिए उसने कुछ देर बाद घर में ही फांसी लगाकर मौत को गले लगा लिया।

कुछ देर बाद परिजन को युवक की मौत का पता चला। बताया जा रहा है कि हादसे के बाद परिजन ने बिना पुलिस को सूचना दिए, चुपचाप युवक का अंतिम संस्कार कर दिया। पुलिस को अब हादसे की जानकारी मिली है। इसके बाद पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। वहीं युवक की मौत से दुखी, पीड़ित परिवार इस संबंध में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। वह कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाहते हैं।

बच्चों को डराएं नहीं उन्हें समझाएं: समाजशास्त्री

समाजशास्त्री डॉ केएन जोशी के अनुसार आज-कल के बच्चे और युवा पीढ़ि बहुत संवेदनशील और समझदार हैं। साथ ही उनमें उतना ही उत्साह भी है। इस वजह से वह कई बार घर वालों के मना करने पर भी ऐसी गलती कर जाते हैं। परिस्थिति चाहे जैसी भी हो परिजन को बच्चों को डराना नहीं, बल्कि उन्हें समझाना चाहिए। उन्हें जिम्मेदारी का बोध कराना चाहिए। साथ ही ये भी बताना चाहिए कि उनकी गलतियों से क्या नुकसाना हो सकता है। माता-पिता या अभिभावकों को बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखना चाहिए, ताकि वह कोई भी बात बताने से डरें नहीं। अन्यथा इसके परिणाम इतने खतरनाक होते हैं कि उसका जिंदगी भर पछतावा होता है।


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