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आप भी करना चाहते हैं यमुना नदी की सफाई तो हर शनिवार इन युवाओं के साथ बटाएं हाथ

हजारों करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके हैं। सर्वोच्च न्यायालय के कई आदेश और शासन-प्रशासन के वादे भी बदलाव नहीं ला सके हैं। ऐसे में ‘स्वच्छ यमुना अभियान’ छोटा सा सराहनीय प्रयास है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 10:29 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 10:29 PM (IST)
आप भी करना चाहते हैं यमुना नदी की सफाई तो हर शनिवार इन युवाओं के साथ बटाएं हाथ
आप भी करना चाहते हैं यमुना नदी की सफाई तो हर शनिवार इन युवाओं के साथ बटाएं हाथ

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। यमुना जीवनदायिनी है पर यह दिल्ली में मृतप्राय है। नाले का गंदा और जहरीला पानी यमुना को खत्म कब का खत्म कर चुका है। अब इसके आंचल में जीव-जंतु, पक्षी और मछलियां अठखेलियां नहीं करते, न मनुष्य इसके जल से प्यास बुझाते हैं। इस नदी के जल को स्वच्छ और निर्मल करने को लेकर दशकों से परियोजनाएं चल रही हैं। हजारों करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके हैं। सर्वोच्च न्यायालय के कई आदेश और शासन-प्रशासन के वादे भी बदलाव नहीं ला सके हैं। ऐसे में ‘स्वच्छ यमुना अभियान’ छोटा सा प्रयास है, जो अपने बूते बहुत बड़ा बदलाव तो लाने का वादा तो नहीं करता है। पर सुकून जरूर देता है कि इन छोटे प्रयासों से यमुना को जीवन देने का प्रयास जारी है और यहीं प्रयास एक न एक दिन इस नदी का भाग्य भी जरूर बदलेगा।

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अभियान से जुड़े कई लोग

स्वच्छ यमुना अभियान में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), सफदरजंग समेत दिल्ली के नामी अस्पतालों के चिकित्सकों के साथ वैज्ञानिक, पैरामेडिकल स्टाफ, व्यापारी, अधिवक्ता, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता समेत समाज के विभिन्न वर्ग से लोग जुड़े हैं जो हर शनिवार यमुना किनारे श्रमदान करते हैं। यह अभियान 2013 में कुछ जागरूक लोगों ने शुरू किया था अब इस अभियान से 100 से अधिक लोग जुड़े हैं। इनका कारवां बढ़ता जा रहा है। सदस्यों ने यमुना का एक घाट आइटीओ को चुना है। घाट को साफ-सुथरा रखने के साथ पौधारोपण कर रहे हैं। ताकि यमुना को सांस आ सके। शुरू के दिनों में अलग-अलग घाटों पर सफाई के लिए जाते थे, लेकिन जल्द ही समझ आ गया कि किसी एक घाट को चुनकर उसे ही मॉडल घाट के रूप में बदलना होगा।

हर शनिवार को आइटीओ के घाट की होती है सफाई

हर शनिवार सारे सदस्य घाट और यमुना किनारे से कूड़ा समेटते हैं और उसे नगर निगम के सहयोग से वहां से हटवाते हैं। जब यमुना का किनारा चमक जाता है तो चूने से घाट पर अच्छे चित्र बनाते हैं, पौधे लगाते हैं और उनकी रक्षा का दायित्व निभाते हैं।

साफ-सफाई के अलावा होता है चुनौतियों पर मंथन

यह जुड़ाव मात्र घाट तक नहीं है। संसद के करीब कांस्टीट्यूशन क्लब में यमुना को लेकर चुनौतियों और रणनीतियों पर अन्य दिल्ली वालों को साथ लेकर मंथन होता है। पिछले शनिवार ही यमुना किनारे स्वच्छता अभियान के बाद आपस में ही 55 से अधिक अवार्ड बांटे गए। पुराने सदस्यों को यमुना सेवक सम्मान दिया गया वहीं नए जुड़े लोगों को यमुना प्रहरी सम्मान दिया गया। इस बारे में अभियान से जुड़े एम्स के डॉ. विनोद दीक्षित कहते हैं कि आपस में यह सम्मान वितरण इसलिए कि खुद का उत्साहवर्धन होता रहे। डॉ. विजय गुर्जर, आदम सेवा के शाह आलम, परवेज आलम समेत अन्य को भी पुरस्कार मिला। विहिप के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि इस तरह के अभियान से ही हम यमुना को पुराने स्वरूप में लौटा सकते हैं।

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