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World Tuberculosis Day 2021: लॉकडाउन ने दिल्ली में टीबी के मरीजों की संख्या में किया इजाफा, कम हो रही पहचान

लाकडाउन के बाद टीबी के मरीज अस्पतालों में कम पहुंच रहे हैं। इससे टीबी के मरीजों की पहचान करीब 25 फीसद कम हो गई है। दरअसल लाकडाउन के दौरान टीबी के मरीजों का पंजीकरण करीब एक तिहाई कम हो गया था।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 12:43 PM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 12:38 PM (IST)
लाकडाउन के दौरान टीबी के मरीजों का पंजीकरण एक तिहाई कम हो गया था।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। World Tuberculosis Day 2021: लाकडाउन के बाद टीबी के मरीज अस्पतालों में कम पहुंच रहे हैं। इससे टीबी के मरीजों की पहचान करीब 25 फीसद कम हो गई है। दरअसल, लाकडाउन के दौरान टीबी के मरीजों का पंजीकरण करीब एक तिहाई कम हो गया था।

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इस साल दिल्ली में दो माह 23 दिन में टीबी के 20,337 मरीज पंजीकृत किए गए हैं, जो पिछले साल इस अवधि के दौरान पंजीकृत मरीजों की तुलना में 25.36 फीसद कम हैं। एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कोरोना काल में दुनिया भर में टीबी के मरीजों की पहचान 25 फीसद कम हुई है। इसका असर टीबी के इलाज पर पड़ेगा और इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 13 फीसद बढ़ सकती है।

नई दिल्ली टीबी सेंटर के निदेशक डा. केके चोपड़ा ने कहा कि टीबी के इलाज में बदलाव आया है। एमडीआर (मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंस)-टीबी के इलाज के लिए कुछ नई दवाएं आई हैं। इसके परिणाम बहुत अच्छे हैं।

2025 तक बीमारी को खत्म करने का है लक्ष्य

देश में करीब 27 लाख लोग टीबी से पीड़ित होते हैं। वहीं करीब चार लाख मरीजों की मौत हो जाती है। सरकार ने वर्ष 2025 तक इस बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। यह तभी संभव है जब कोरोना से बचाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपायों का टीबी में भी इस्तेमाल किया जाए।

नई दिल्ली टीबी सेंटर के निदेशक डा. केके चोपड़ा ने कहा कि मास्क के इस्तेमाल से टीबी के मामले कम हो सकते हैं। यदि लोग लगातार इस्तेमाल करते रहे तो एक-दो साल में फर्क दिखने लगेगा।

नई दिल्ली टीबी सेंटर के चेस्ट फिजीशियन डा. संजय राजपाल ने कहा कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति तीन लोगों को संक्रमित करता है, जबकि टीबी का एक मरीज छह माह में 10 लोगों को संक्रमित करता है।

टीबी से बचाव के लिए भी लोगों को मुंह पर कपड़ा रखने, किसी के साथ खाना न खाने व हाथ धोने की सलाह दी जाती थी, लेकिन तब यह कोरोना की तरह जनआंदोलन नहीं बन पाया। जापान में लोग पहले से मास्क का इस्तेमाल करते रहे हैं। इसलिए वहां टीबी बहुत कम है।

उधर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के माइक्रोबायोलॉजी और सेल बायोलॉजी के शोधकर्ताओं ने टीबी रोग की जांच का एक नया, त्वरित और प्रभावी तरीका खोजा है। इसके जरिये रोग के कारक से जुड़े प्रोटीन के खिलाफ इम्यून रिस्पांस से यह पता लगाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति टीबी का सक्रिय मरीज है या नहीं।यह नया शोध ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, लंदन के एक जर्नल क्लिनिकल इन्फेक्शस डिजीज के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुआ है।

टीबी के रोगियों में यदि असर फेफड़े के अलावा अन्य अंगों पर हो तो उसकी जांच थोड़ी जटिल हो जाती है। लेकिन संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी एंड सेल बायोलॉजी विभाग के एस. विजय के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने एक नई तरकीब निकाली है।शोधकर्ताओं की इस टीम ने पाया है कि यदि रक्त में टुमोर नेक्रोटिक फैक्टर (टीएनएफ-ए) के रिलीज होने के समय इम्यून सेल में बायोकेमिकल सीडी 38 तथा सीडी 4 की मौजूदगी और सीडी 27 की गैर मौजूदगी से टीबी का पता लगाया जा सकता है।


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