Move to Jagran APP

World Heart Day 2020: कोरोना के डर से दिल की बीमारी की अनदेखी बन सकती है जान की दुश्मन, बरतें सावधानी

कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से दिल की बीमारियों के मरीज अपनी नियमित जांच को से बच रहे हैं और चेकअप के लिए अस्पताल नहीं जा रहे हैं। इसी कारण लॉकडाउन के दौरान हृदयाघात (हार्ट अटैक) के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 02:02 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 04:06 PM (IST)
World Heart Day 2020: कोरोना के डर से दिल की बीमारी की अनदेखी बन सकती है जान की दुश्मन, बरतें सावधानी
महामारी ने संक्रमित रोगियों के हृदय और फेफड़ों को प्रभावित किया है। फोटो- ANI

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। दुनिया कोरोना के खतरे से जूझ रही है। इसी बीच अन्य गैर-संचारी रोग, खासतौर पर दिल की बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य पर बोझ बनती जा रही हैं। कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से दिल की बीमारियों के मरीज अपनी नियमित जांच को टाल रहे हैं और अस्पताल जाने से बच रहे हैं। इस सब कारणों के चलते लॉकडाउन के दौरान हृदयाघात (हार्ट अटैक) के मामले बढ़े हैं। व्यायाम की कमी, तंबाकू एवं शराब का सेवन, डॉक्टर से संपर्क की कमी और खुद इलाज की कोशिश इसके मुख्य कारण हैं। यह कहना है इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में कार्डियो थोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग में वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. मुकेश गोयल का।

loksabha election banner

उन्होंने बताया कि अस्पताल की इमरजेंसी यूनिट में हार्ट अटैक के मामले कम आ रहे हैं, लेकिन घर पर ही हार्ट अटैक के कारण होने वाली मौत की संख्या बीस फीसद बढ़ी है। इसका कारण लोगों का कोरोना वायरस के डर से इलाज टालना है। लोग अपनी नियमित जांच और अन्य जरूरी इलाज से बच रहे हैं।

डॉ. मुकेश गोयल ने बताया कि हाल ही में एक 72 वर्षीय महिला हालत बिगड़ने पर अस्पताल पहुंचीं। जांच में पता चला कि वह गंभीर हार्ट अटैक से पीड़ित थीं, जिसके चलते हार्ट में दोनों चैंबर को अलग करने वाली दीवार फट गई। कारोना के डर से वह अस्पताल आने से बचती रहीं। इसके बाद बायपास सर्जरी कर उनका इलाज किया गया।

उन्होंने कहा कि अगर मरीज को परेशानी होते ही तुरंत अस्पताल लाया जाता तो इतनी मुश्किल सर्जरी की नौबत नहीं आती। एक्यूट हार्ट अटैक के मामलों में तकरीबन 3 फीसद मरीजों के हार्ट की दीवार फट जाती है। ऐसा इलाज में देरी के कारण होता है। ऐसे मामलों में सर्जरी समय पर न की जाए तो मरीज की मौत की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। ऐसे ज्यादातर मामलों में मरीज को आर्टिफिशियल हार्ट इंप्लांट भी कराना पड़ सकता है।

डॉ. गोयल ने कहा कि दुनिया भर में कोरोना के कारण मृत्यु दर दो फीसद है और वो भी आरटी-पीसीअर या रैपिड एंटीजन टेस्ट की पुष्टि वाले मामलों में। अगर हम सीरो सर्वे के परिणामों पर ध्यान दें तो मृत्यु दर सिर्फ 0.15 फीसद हो सकती है। जबकि, दिल की बीमारियों के कारण मृत्यु दर 30 फीसद से भी अधिक है। इसलिए कोरोना के डर से अपनी दिल की बीमारी की अनदेखी न करें।

महामारी ने हृदय व फेफड़ों को किया बुरी तरह प्रभावित

मणिपाल अस्पताल द्वारका में क्लिनिकल सर्विसिस के चीफ डॉ. युगल के. मिश्र ने बताया कि कोरोना के डर से दिल की बीमारी के जो मरीज डॉक्टर के पास नहीं जा रहे थे, उन्होंने अब जाना शुरू कर दिया है। जो पहले से ही अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं वे आगे की सलाह के लिए वीडियो कॉल पर भी परामर्श ले रहे हैं। कोरोना के कारण कई रोगियों में कार्डियोमायोपैथी जैसी दिल की समस्याएं भी बढ़ी हैं। महामारी ने संक्रमित रोगियों के हृदय और फेफड़ों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.