बिच्छू ने काटा तो साबुन से गढ़ दी उसी की आकृति, विश्व प्रसिद्ध मूर्तिकार ने सुनाई कलाकृतियों की कहानी
Ram Vanji Sutar Renowned Indian Sculptor सुतार ने कहा कि अब तक उन्होंने जितने भी राजनेताओं की मूर्तियां बनाई हैं उनमें सबसे पसंदीदा मूर्ति महात्मा गांधी की है और सबसे मुश्किल भी उसे ही बनाना था। उन्होंने पहली व सबसे अधिक मूर्तियां महात्मा गांधी की ही बनाई हैं।
नई दिल्ली [रितु राणा]। प्रभा खेतान फाउंडेशन ने ‘कलम’ (अपनी भाषा अपने लोग) कार्यक्रम के तहत मंगलवार को प्रसिद्ध मूर्तिकार पद्मभूषण राम वंजी सुतार के साथ उनकी बनाई गई मूर्तियों के बारे में चाय पर चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया। दैनिक जागरण, श्री सीमेंट व अहसास वूमन आफ एनसीआर के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में कथक नृत्यांगना शिंजिनी कुलकर्णी ने राम वंजी सुतार से उनके मूर्ति बनाने के सफर की शुरुआत से लेकर विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति स्टेच्यू आफ यूनिटी बनाने तक के सफर पर चर्चा की।
राम वंजी सुतार ने बताया कि उनके नाम के पीछे जो सुतार है उसका मतलब ‘बढ़ई’ होता है। उनके मूर्ति बनाने की कला के पीछे एक कारण यह भी रहा है। उन्होंने बताया कि वे 1948 से मूर्तियां बना रहे हैं। उनके बेटे अनिल का 1957 में जन्म हुआ। वह भी स्कूल और कालेज के जमाने से ही उनके साथ मूर्तियां बना रहा है। वह एक क्वालिफाइड आर्किटेक्ट है। जेजे स्कूल आफ आट्र्स में जब उन्होंने दाखिला लिया तो शिक्षक ने पहले ही साल में देखा कि वे बहुत अच्छा काम कर रहे हैं तो सीधे उन्हें सेकेंड ईयर में भेज दिया। 1950 में गोल्ड मेडल भी मिला। बचपन में उन्हें एक बिच्छू ने काटा था। उन्होंने उस बिच्छू को मार दिया। फिर उसे देखकर साबुन से एक बिच्छू बना दिया। वहीं से उनके मूर्ति बनाने के सफर की शुरुआत हुई।
चंबल देवी की मूर्ति बनाने का किस्सा साझा करते हुए उन्होंने बताया कि 1960 में उन्हें मध्य प्रदेश में गांधी सागर बांध के लिए चंबल नदी को समर्पित करते हुए मूर्ति बनाने का प्रोजेक्ट मिला। चंबल नदी मध्य प्रदेश और राजस्थान को जोड़ती है। इसलिए उन्होंने चंबल नदी की प्रतीकात्मक मूर्ति को मां के रूप में दर्शाते हुए उसके साथ दो बच्चे बनाए, जो मध्य प्रदेश और राजस्थान के भाईचारे के प्रतीक हैं। यह मूर्ति 45 फीट ऊंची है। उस समय यह उनके करियर का सबसे बड़ा काम था। इस मूर्ति के उन्हें 10 हजार रुपये मिले थे।
सुतार ने कहा कि अब तक उन्होंने जितने भी राजनेताओं की मूर्तियां बनाई हैं, उनमें सबसे पसंदीदा मूर्ति महात्मा गांधी की है और सबसे मुश्किल भी उसे ही बनाना था। उन्होंने पहली व सबसे अधिक मूर्तियां महात्मा गांधी की ही बनाई हैं। उन्होंने कहा कि वे सिग्नेचर स्टाइल में मूर्तियां बनाते हैं। स्कूल के दिनों में ही उन्होंने अपने गुरु के मार्गदर्शन में सीमेंट से गांधी जी की मूर्ति बनाई। यह मूर्ति उनके गांव में लगाई गई। इसके लिए उन्हें 100 रुपये मिले। फिर किसी दूसरे गांव के लोगों ने भी मूर्ति बनाने के लिए कहा और उन्होंने 300 रुपये दिए।
उन्होंने कहा कि संसद भवन में लगी उनकी 18 फीट ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति देखकर ही प्रधानमंत्री ने गुजरात में वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति बनाने की इच्छा रखी। उसके बाद उन्होंने विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति ‘स्टेच्यू आफ यूनिटी’ पर काम किया। उन्होंने बताया कि वे प्रोग्रेस नाम के एक प्रोजेक्ट पर काम करना चाहते हैं, जिसमें उन्होंने 250 फीट ऊंची स्टील की मूर्ति बनाने की कल्पना की है। इसके अलावा उन्होंने अमृतसर में महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति, कुरुक्षेत्र में रथ पर सवार भगवान कृष्ण की विराट मूर्ति व आनंद वन में बनाई मूर्तियों के काम की भी चर्चा की। कार्यक्रम में संदीप भुतोरिया, दीपाली भसीन, आराधना प्रधान, अनंदिता चटर्जी व हजारिका आदि लोग मौजूद रहे।