जानिये- क्या है TOD Policy, जिसके तहत शुरू होगा रैपिड रेल और लाइट मेट्रो स्टेशन पर काम
Transit Oriented Development पॉलिसी का मकसद गाड़ियों के कम से कम इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। इसके तहत लोगों को एक ही परिसर में रिहायशी और कॉमर्शियल गतिविधियों की सुविधा मिलेगी। एक ही परिसर में ऑफिस घर पार्क से लेकर ट्रांसपोर्ट की सुविधा होगी।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली में ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (Transit Oriented Development) का दायरा अब और विस्तृत होगा। इस पॉलिसी के तहत मेट्रो ही नहीं, रैपिड रेल और लाइट मेट्रो स्टेशन पर भी जल्द काम शुरू होगा। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने इस बाबत पालिसी में संशोधन करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है, जिसे उप राज्यपाल ने भी स्वीकृति दे दी है।
क्या है टीओडी पॉलिसी
इस पॉलिसी का मकसद गाड़ियों के कम से कम इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। इसके तहत लोगों को एक ही परिसर में रिहायशी और कॉमर्शियल गतिविधियों की सुविधा मिलेगी। एक ही परिसर में ऑफिस, घर, पार्क से लेकर ट्रांसपोर्ट की सुविधा होगी। साथ ही स्कूल, कॉलेज सहित अन्य सुविधाएं भी यहां मिल सकेंगी। फिलहाल दिल्ली में पांच ट्रांजिट कारिडोर बनाने की योजना पर काम चल रहा है। ये सभी कारिडोर मुकुंदपुर, रोहिणी सेक्टर-18, द्वारका सेक्टर-21, मयूर विहार एक्सटेंशन और सरोजिनी नगर (आइएनए के साथ) मेट्रो स्टेशनों पर बनने हैं। पालिसी के लिए मेट्रो स्टेशन के 500 से 800 मीटर के पास करीब एक हेक्टेयर जमीन होना जरूरी है। यहां 300 से 500 तक एफएआर स्वीकृत होगा। इसमें रिहायश के लिए 30 फीसद और ईडब्ल्यूएस के लिए 15 फीसद एफएआर होना जरूरी है। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यहां लैंड यूज और ट्रांसपोर्ट दोनों को ध्यान में रखकर प्लानिंग की जाएगी। लोगों को अपनी रोज की जरूरतों के लिए पैदल चलने का रास्ता मिलेगा।
रैपिड रेल औैर लाइट मेट्रो स्टेशन भी किए शामिल
इस पालिसी में बदलाव करते हुए आरआरटीएस (रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम) और लाइट मेट्रो स्टेशन भी इसमें शामिल कर लिए गए हैं। मालूम हो कि दिल्ली मेरठ आरआरटीएस कारिडोर में तीन स्टेशन होंगे तो रिठाला से नरेला के बीच प्रस्तावित 21.7 किलोमीटर की लाइट मेट्रो के स्टेशनों पर भी इस पालिसी के तहत भविष्य में काम किया जा सकेगा।
प्राइवेट डेवलपर भी दे सकेंगे सेवाएं
डीडीए की नई योजना के मुताबिक टीओडी के तहत अब प्राइवेट डेवलपर भी इन्फ्लुएंस जोन प्लान बना सकेंगे।
इन्फलुएंस जोन प्लान में संबंधित ट्रांसपोर्ट हब या स्टेशन के आसपास 500 से 800 मीटर के दायरे में डेवलपमेंट करने की पूरी योजना होती है। इसे बनाने के लिए अभी सिर्फ डीडीए ही अधिकृत है। लेकिन अब डीडीए ने टीओडी पालिसी में संशेाधन करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। इस पर जनता से सुझाव-आपत्तियां मंगाने के लिए पब्लिक नोटिस जारी करने की कार्रवाई की जा रही है।
इस संशोधन के बाद प्राइवेट डेवलपर या व्यक्ति किसी भी बड़े पब्लिक ट्रांसपोर्ट हब/स्टेशन के आसपास के 800 मीटर के दायरे में डेवलपमेंट प्लान बना सकेंगे। इसके लिए उसके आसपास रहने वाले लोगों को भी साथ लाना होगा। इसमें प्राइवेट डेवलपर की मनमानी रोकने के लिए डीडीए ने शर्त भी तय की है। जिसके अनुसार यदि साइट खाली है तो वहां पर बनने वाले 50 फीसद घर 80 वर्गमीटर एफएआर तक के होना अनिवार्य है। इसके अलावा यदि घर पहले से बने है तो वहां पर नए बनने वाले 50 फीसद घर 60 वर्गमीटर एफएआर तक के बनाना अनिवार्य होगा, ताकि सभी वर्ग के लोगों के लिए आवासीय सुविधा उपलब्ध हो सके।
मंजू पॉल (अतिरिक्त योजना आयुक्त, डीडीए) का कहना है कि दिल्ली जैसे महानगर में टीओडी पालिसी पर आगे बढ़ना समय की मांग है। भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही इस पॉलिसी का दायरा बढ़ाया जा रहा है। जल्द ही काम होता हुआ भी नजर आने लगेगा।
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