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Tripolia Gate: कोरोना वायरस ने रोका मुगलकालीन त्रिपोलिया गेट के संरक्षण का काम

हालात खराब होने के चलते भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस गेट के अंदर से करीब एक साल पहले वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद संरक्षण कार्य शुरू किया था मगर काेरोना के चलते यह कार्य बीच में ही रुक गया है।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 12:27 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 12:27 PM (IST)
Tripolia Gate: कोरोना वायरस ने रोका मुगलकालीन त्रिपोलिया गेट के संरक्षण का काम
ग्रैंड ट्रंक (जीटी) करनाल रोड पर स्थित दो त्रिपोलिया गेटों का निर्माण नाजीर महलदार खां ने कराया था।

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। मुगलकालीन त्रिपोलिया गेट की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है। गेट की स्थिति इस हद तक खराब है कि इसके एक भाग की छत का कोई भी टुकड़ा कभी भी गिर सकता है। हालात खराब होने के चलते भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस गेट के अंदर से करीब एक साल पहले वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद संरक्षण कार्य शुरू किया था, मगर काेरोना के चलते यह कार्य बीच में ही रुक गया है। जैसे ही दिल्ली में हालात काबू में आते हैं एएसआइ संरक्षण कार्य तेज करेगा।

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यहां पर बता दें कि ग्रैंड ट्रंक (जीटी) करनाल रोड पर स्थित दो त्रिपोलिया गेटों का निर्माण नाजीर महलदार खां ने कराया था। इनमें से एक गेट जो महाराणा प्रताप बाग के पास स्थित है। उसका जीर्णोंद्धार करीब दो वर्ष पहले हो चुका है। वहीं, गुड़ मंडी के पास वाला दूसरा गेट खतरनाक रूप से जर्जर हो चुका है। इसके बावजूद गेट के नीचे से वाहनों का निकलना जारी था, जिसे एक साल पहले बंद किया गया था।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान यहां पर सड़क निर्माण की वजह से गेट की छत और फर्श की दूरी कम हुई है। इस वजह से बड़े वाहन गेट को लगातार क्षति पहुंचा रहे हैं। वर्तमान में इसकी हालत बहुत खराब है। एएसआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस गेट में बड़े स्तर पर संरक्षण कराए जाने की जरूरत है। इसे ध्यान में रखते हुए पिछले साल काम शुरू कराया गया था, दो आर्च में काम पूरा भी कराया गया, मगर काेरोना के चलते एक आर्च में काम रह गया है। इसके चलते इसके अंदर से यातायात बंद है।

क्या है इतिहास

दिल्ली करनाल रोड से सब्जी मंडी को जोड़ने वाली सड़क पर एक सराय थी, जो गुड़ की सराय कहलाती थी। इसे मुगल काल में बनवाया गया था। यह ज्यादातर ईटों से निर्मित है। इन द्वारों पर लिखे अभिलेख से पता चलता है कि इन्हें नाजिर महलदार खां द्वारा 1728-29 में बनवाया गया था। मुहम्मद शाह के कार्यकाल में वह वजीर था। त्रिपोलिया गेट दिल्ली के सात ऐतिहासिक द्वारों में से एक है। इससे सटे क्षतिग्रस्त स्मारक को सैनिकों व घोड़ों के विश्राम के लिए बनवाया गया था।

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