Move to Jagran APP

मंदिर के पुजारी बना रहे देवता का मजाक, नीलामी के आधार पर करते हैं पूजाःHC

न्यायमूर्ति जेआर मिढ़ा ने कहा कि पुजारी पूजा पर केंद्रित नहीं हैं। पूजा अनुष्ठान एक प्रार्थना है, लेकिन सब पैसे के पीछे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 09 Feb 2017 07:34 AM (IST)Updated: Thu, 09 Feb 2017 12:30 PM (IST)
मंदिर के पुजारी बना रहे देवता का मजाक, नीलामी के आधार पर करते हैं पूजाःHC
मंदिर के पुजारी बना रहे देवता का मजाक, नीलामी के आधार पर करते हैं पूजाःHC

नई दिल्ली (जेएनएन)। कालका मंदिर में महिला पुजारी बनने और मंदिर मे आने वाले चढ़ावे को लेकर 2 बहनों और भाई की लड़ाई दिल्ली हाई कोर्ट में दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है। मंगलवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल किया था कि कालकाजी मंदिर में महिलाएं सेवा क्यों नही कर सकती और पुजारिन बनने का हक महिलाओं को क्यों नहीं है। कालकाजी मंदिर के पुजारी देवता का मजाक बना रहे हैं। वे यहां नीलामी के आधार पर पूजा व सेवा करते हैं। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए मंदिर के पुजारी के प्रति नाराजगी जताई है। पुजारी ने अपनी दो बहनों को मंदिर में पूजा करने से रोकने की मांग की है।

loksabha election banner

निचली अदालत ने दोनों को यह अनुमति प्रदान की है। न्यायमूर्ति जेआर मिढ़ा ने कहा कि पुजारी पूजा पर केंद्रित नहीं हैं। पूजा अनुष्ठान एक प्रार्थना है। पूजा करना एक सम्मान है, लेकिन यहां सब पैसे के पीछे हैं। जो लोग पूजा करने के लिए बोली लगाते हैं, क्या उन्हें मंदिर में बैठने के लिए अनुमति दी जाती है?

यह भी पढ़ेंः पंडित ने अपनी सगी बहनों को मंदिर में पूजा से रोका तो HC ने पूछा-'ऐसा क्यों'

अदालत के रुख को देखते हुए याची पुजारी ने कहा कि वह अपनी बहनों को हिस्सा दे रहे हैं और समझौता कर सकते हैं। अदालत ने मामले की सुनवाई 10 फरवरी तक के लिए स्थगित करते हुए कहा कि उसी दिन आदेश पारित किया जाएगा।

यह मामला सबसे पहले वर्ष 2003 में निचली अदालत के सामने आया था। वहां इन दोनों बहनों के खिलाफ भाई ने याचिका लगाई थी। निचली अदालत से दोनों बहनों को राहत मिली थी। दोनों का कहना है कि जब भी उन्हें चढ़ावे का हिस्सा देने की बारी आती है भाई हिस्सा देने से मना कर देता है। वह जब अदालत में आती हैं तब हिस्सा मिलता है। पिता से मिले हिस्से के कारण उन्हें भी मंदिर में पूजा व सेवा करने का अधिकार है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क रखा कि मंदिर में हमेशा से ही पुरुष पुजारी पूजा करते आए हैं। महिलाओं ने आज तक पूजा नहीं की। बहनों का विवाह होने के बाद उनका गोत्र बदल गया है। ऐसे में न तो उन्हें पूजा का अधिकार है और न ही चढ़ावे पर हक।

यह है मामला

शशिबाला और विजयलक्षमी एक ही परिवार की 2 बहनों ने कालकाजी मंदिर में पुजारिन बनने और मंदिर में चढ़ावे में हिस्सेदारी को लेकर याचिका लगाई है कि पुजारी बनने और चढ़ावे लेने का उन्हें भी वही अधिकार मिलना चाहिए जो उनके पुजारी भाई को मिला हुआ है। शशिबाला और विजयलक्ष्मी को कोर्ट, इसलिए आना पड़ा क्योंकि भाई ने बिना कोर्ट आए उनकी बात सुनी ही नहीं।

बहनों को प्रताड़ित कर रहा भाई

दिल्ली की निचली कोर्ट ने दोनों बहनों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसे उसके पुजारी भाई ने हाई कोर्ट में चुनौती दे दी। 2003 से अब तक हर बार कालकाजी मंदिर मे आने वाले चढ़ावे मे शशिबाला और विजयलक्ष्मी को भाई से हिस्सा तभी मिला है जब उन्होंने कोर्ट का रुख किया और खुद कोर्ट ने आदेश दिया।

अभी तक पुजारी भाई ने मंदिर मे सेवा के अधिकार से बहनों को दूर ही रखा है। कालकाजी मंदिर के इतिहास में कभी कोई महिला पुजारिन नहीं बनाई गई है। शशिबाला ने कहा कि भाई सत्यदेव का व्यवहार बेहद खराब है। मंदिर मे हर जगह उनके लोग बैठे हुए है। हमें तो वो मंदिर की सीढ़ियों पर भी नहीं चढ़ने देते।

15 साल से कोर्ट में मसला

दोनों बहनें उम्र के छठे दशक में चल रही हैं। दोनों विधवा हैं। उनके पास आय का कोई और जरिया नहीं है। ऐसे में ये चढ़ावा ही इनके घर का खर्च चलाने का जरिया है, लेकिन अपने हक को अपने ही भाई से लेने के लिए इन्हें 15 साल से लगातार कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

कल आ सकता है फैसला

हाई कोर्ट में कालकाजी मे आने वाले चढ़ावे से मंदिर के रख-रखाव पर भी सवाल उठे। हाई कोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने ये तक कह दिया कि अगर चढ़ावे के बंटवारे को लेकर इतनी परेशानी है, तो क्यों न कालकाजी मंदिर को वैष्णो देवी ट्रस्ट या ऐसे ही किसी और ट्रस्ट को सौंप दिया जाए।

दिल्ली हाई कोर्ट ने कालकाजी के पुजारी के वकील से पूछा था कि मंदिरों में महिलाएं पूजा और सेवा क्यों नहीं कर सकतीं? हाई कोर्ट शुक्रवार को इस मामले मे कोई फैसला सुना सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.