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दिल्ली में शिक्षण संस्थान और कोचिंग खुलने से इस पुराने बाजार में लौटने लगी रौनक, पटरी पर लौटा बाजार

पुरानी दिल्ली स्थित नई सड़क के पुस्तक बाजार का व्यवसाय पटरी पर लौट रहा है। बाजार में छात्र किताबों की खरीदारी करने पहुंच रहे हैं। इससे बाजार में पुस्तक प्रेमियों की भीड़ बढ़ रही है। खरीदारों को देखकर दुकानदारों के चेहरे पर रौनक नजर आ रही है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 12:42 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 12:42 PM (IST)
दिल्ली में शिक्षण संस्थान और कोचिंग खुलने से इस पुराने बाजार में लौटने लगी रौनक, पटरी पर लौटा बाजार
नई सड़क के पुस्तक बाजार का व्यवसाय पटरी पर लौट रहा है।

नई दिल्ली [आशीष सिंह]। राजधानी में स्कूल, कोचिंग संस्थान और कुछ कालेज खुल गए हैं। ऐसे में पुरानी दिल्ली स्थित नई सड़क के पुस्तक बाजार का व्यवसाय पटरी पर लौट रहा है। बाजार में छात्र किताबों की खरीदारी करने पहुंच रहे हैं। इससे बाजार में पुस्तक प्रेमियों की भीड़ बढ़ रही है। खरीदारों को देखकर दुकानदारों के चेहरे पर रौनक नजर आ रही है। दुकानदारों ने बताया कि शिक्षण संस्थान खुलने से व्यापार रफ्तार पकड़ रहा है। नई सड़क बुक सेलर एसोसिएशन के अध्यक्ष स्वर्ण सहगल ने बताया कि पहले से 10 प्रतिशत ग्राहकी बढ़ी है।

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उन्होंने कहा कि स्कूल व कालेज को पूरी क्षमता के साथ खोल देना चाहिए। हमारा व्यापार पूरी तरह से स्कूल-कालेजों पर निर्भर करता है। यहां किताबों की 120 दुकानें हैं। उन्होंने बताया कि अभी छोटी कक्षाओं की पुस्तकें नहीं बिक पा रही हैं। ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं और कालेजों की पुस्तक लेने खरीदार आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम यही चाहते हैं कि जो भी बाजार में आए कोरोना नियमों का अच्छी तरह पालन करे। दिल्ली स्टेशनरी एसोसिएशन के सचिव विकास गुप्ता ने बताया कि कई दुकानें बंद पड़ गई थीं, वह भी अब खुलने लगी हैं। स्कूल-कालेज खुलने से दुकानदारों में आस जगी है। लोग घरों से खरीदारी करने पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि पहले जैसे काम में अभी थोड़ा समय लगेगा।

दुकानदार सचिन गुप्ता ने बताया कि अभी काम पहले जैसा नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे ग्राहक बाजार में पहुंच रहे हैं। हमें इससे बहुत राहत है। उन्होंने कहा कि हमें आने वाले दिनों में काम बढ़ने उम्मीद है। आनलाइन शिक्षा ने हमारे व्यवसाय को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि हमें दुकान का बिजली का बिल देना पड़ता है और हेल्पर्स को भी वेतन देना होता है। कोरोना ने हमारा बहुत नुकसान किया है। इस बाजार में प्रतियोगी परीक्षाओं और स्कूल-कालेज की पुस्तकें सस्ते दामों में मिलती हैं, जिससे छात्र यहां दूर-दूर से पुस्तकों की खरीदारी करने आते हैं।

पालम से प्रतियोगिता परीक्षा की किताबें खरीदने आए राजन ने बताया कि यहां अक्सर वे किताबें खरीदने आते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के बाद से अब आए हैं। उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थान खुल गए हैं, जिसमें आफलाइन पढ़ने के लिए किताबें चाहिए। वहीं, पीएचडी के छात्र सुहेल ने कहा कि मैं अपने और छोटे भाई के लिए किताब खरीदने आया हूं। अब सबका वैक्सीनेशन भी हो रहा है और सब कुछ खुल चुका है तो छात्रों को भी पूरी तरह से आफलाइन कक्षा में बैठने की अनुमति मिलनी चाहिए।


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