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टैब की मदद से कार के लॉक को डिकोड करके चोरी करने वाले गिरोह का मुखिया अरेस्ट, 8 कारें बरामद

गिरोह टैब तकनीक की मदद से कार के लॉक को डिकोड करता था। वहीं टोटल लॉस कार के नंबर के आधार पर चोरी की कारों के कागजात बना उसे लोगों को बेच दिया जाता था। चोरी की कार यूपी व हरियाणा सहित पंजाब में बेची जाती थी।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 06:51 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 07:51 PM (IST)
टैब की मदद से कार के लॉक को डिकोड करके चोरी करने वाले गिरोह का मुखिया अरेस्ट, 8 कारें बरामद
टैब तकनीक की मदद से कार के लॉक को डिकोड करता था मुखिया। (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दिल्ली-एनसीअार से महंगी कार चुराने वाले गिरोह के सरगना को गिरफ्तार किया है। उसकी पहचान मूल रूप से उत्तर प्रदेश (यूपी) के हापुड़ निवासी संजीव कुमार उर्फ गंजा तौर पर हुई है।

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उसके पास से एक पिस्टल, दो जिंदा कारतूस और सहित चोरी की आठ कारें बरामद हुई हैं। गिरोह टैब तकनीक की मदद से कार के लॉक को डिकोड करता था। वहीं, टोटल लॉस कार के नंबर के आधार पर चोरी की कारों के कागजात बना उसे लोगों को बेच दिया जाता था। चोरी की कार यूपी व हरियाणा सहित पंजाब में बेची जाती थी।

आरोपित की गिरफ्तारी पर पुलिस ने कार चोरी के छह मामले सुलझा लिए हैं। क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जमानत पर जेल से रिहा बदमाशों पर लगातार नजर रख रही है। इसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि गत महीने जेल से छुटा संजीव कुमार अपना गिरोह बनाकर ताबड़तोड़ वाहन चोरी कर रहा है।

वर्ष 2018 में भी उसे दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उसकी निशानदेही पर चोरी की 17 कारें बरामद की गई थी। बाद में एसीपी संदीप लांबा की टीम ने वाहन चोर सरगना की तलाश शुरू की और 17 अक्टूबर को भैरो मार्ग के समीप से कार से आए संजीव को धर दबोचा। तलाशी में उसके पास से हथियार बरामद किया गया।

वहीं, जांच में पता चला कि उसके द्वारा प्रयुक्त कार जनकपुरी इलाके से चुराई गई है। बाद में उसकी निशानदेही पर चोरी की सात अौर महंगी कारें बरामद की गई। पूछताछ में आरोपित ने बताया कि जेल से छुटने के बाद उसने अपना गिरोह बना लिया था और वाहनों की चोरी कर रहा था। वे टैब तकनीक द्वारा कारों के लॉक को डिकोड कर कारों को चुराते थे।

बाद में गिरोह के बदमाश कार के मॉडल व अन्य जानकारी कार बेचने वाले अपने साथियों को बता दे देते थे। वे दुर्घटनाग्रस्त टोटल लॉस कार के नंबर का इंजन और चेसिस नंबर के आधार पर चोरी की कारों का दस्तावेज तैयार कर उसे महंगे दाम पर लोगों को बेच देते थे। गिरोह एक कार 50 हजार रुपये में बेचता था।  

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