Karwa Chauth Moonrise: जहरीली हवा से घिरा दिल्ली-NCR, करवाचौथ के चांद को लग सकता है प्रदूषण का ग्रहण
Delhi Karwa Chauth 2020 Moonrise Time बताया जा रहा है कि करवा चौथ पर सुहागिनों को चांद के दीदार में दिक्कतें आ सकती हैं क्योंकि चांद साफ-साफ नहीं दिखाई देगा। वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली-एनसीआर में विजिबिलिटी बेहद कम है। कई जगहों पर यह 500 मीटर तक पहुंच गई।
नई दिल्ली/नोएडा। Delhi Karwa Chauth 2020 Moonrise Time: पंजाब और हरियाणा के साथ उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में पराली जलाए जाने के चलते दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। आलम यह है कि बुधवार को दिन में ही लोग लाइट जलाकर अपने वाहन सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, शाम होते-होत यह प्रदूषण और गहराता जाएगा। बताया जा रहा है कि करवा चौथ पर सुहागिनों को चांद के दीदार में दिक्कतें आ सकती हैं, क्योंकि चांद साफ-साफ नहीं दिखाई देगा। हो सकता है वायु प्रदूषण के चलते बिल्कुल ही नहीं नजर आए। दरअसल, वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली-एनसीआर में विजिबिलिटी बेहद कम है और धीरे-धीरे यह और कम होती जाएगी। कई जगहों पर यह 500 मीटर तक पहुंच गई है। ऐसे में वायु प्रदूषण और गहराने पर चांद स्मॉग में छिप सकता है। वहीं, बुधवार को दोपहर एक बजे तक हरियाणा का अंबाला शहर देश में सबसे अधिक प्रदूषित रहा। अंबाला का वायु गुणवत्ता सूचकांक 437 पर पहुंच गया। किसी शहर के वायु प्रदूषण के लिए यह सबसे खराब स्थिति है।
गुरुग्राम में 300 के पार पहुंचा AQI
दिल्ली से सटे गुरुग्राम में वायु प्रदूषण ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। आसमान में स्मॉग छाया हुआ है, वहीं वायु गुणवत्ता स्तर 336 के पार पहुंच गया है। पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में भी भारी इजाफा हुआ है। वहीं, हवा की खराब गुणवत्ता के चलते सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों की समस्या बढ़ गई है।
क्या होता है स्मॉग
जैसा कि नाम से जाहिर कि यह स्मोक और फॉग से मिलकर बना है। इसक मतलब है स्मोकी फॉग अर्थात् धुआं-युक्त कोहरा। दरअसल, किसी शहर या जगह की हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड्स, सल्फर ऑक्साइड्स, ओजोन, स्मोक और पार्टिकुलेट्स घुले होते हैं। इन्हें स्मॉग कहा जाता है। अमूमन पेट्रोल-डीजल जैसे वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों और कोयले, पराली आदि के जलने से निकलने वाला धुआं इस तरह के वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण होता है।
दिल्ली-एनसीआर में पंजाब और हरियाणा में पराली जलने से वायु प्रदूषण अक्टूबर महीने से ही बढ़ने लगता है। इसके बाद नवंबर और दिसंबर महीने हालात खतरनाक हो जाते हैं। कभी-कभार तो दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता स्तर 1000 तक पहुंच जाता है।
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