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पढ़िये- क्यों चर्चा में है 1942 में बना दिल्ली का यह बंगला, जिसमें रहते हैं सीएम केजरीवाल

लोक निर्माण विभाग इस बंगले के बारे में रिपोर्ट दे चुका है कि बंगला जिस तकनीक से बना है उस तकनीक से बने बंगले की उम्र 50 साल होती है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 12:20 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 02:41 PM (IST)
पढ़िये- क्यों चर्चा में है 1942 में बना दिल्ली का यह बंगला, जिसमें रहते हैं सीएम केजरीवाल
पढ़िये- क्यों चर्चा में है 1942 में बना दिल्ली का यह बंगला, जिसमें रहते हैं सीएम केजरीवाल

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। इन दिनों राजधानी दिल्ली में सिविल लाइन क्षेत्र का 78 साल पुराना वीआइपी बंगला चर्चा में है। 1942 में बना यह बंगला अब जर्जर हो चुका है। गत दिनों बंगले की छत का कुछ हिस्सा गिर गया। इस समय इस बंगले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रह रहे हैं। उनको यह बंगला 2015 में आवंटित हुआ था। इससे पहले किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को यह बंगला आवंटित नहीं हुआ था। लोक निर्माण विभाग इस बंगले के बारे में रिपोर्ट दे चुका है कि बंगला जिस तकनीक से बना है उस तकनीक से बने बंगले की उम्र 50 साल होती है। ऐसे में बंगला उम्र पूरी कर चुका है। अब सरकार इस बारे में विचार कर रही है कि मुख्यमंत्री को जर्जर बंगले से कैसे छुटकारा दिलाया जाए। कौन सा बंगला दिया जाए और इस बंगले की कैसे मरम्मत कराई जाए।

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मौत का जिम्मेदार कौन?

अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डालने की कला सीखनी हो तो सरकारी विभागों के बेहतर कोई नहीं है। किसी विभाग की गलती से कोई मर भी जाए तो जिम्मेदारी किसी पर नहीं आती है। गत दिनों मिंटो ब्रिज के नीचे हुए जलभराव में डूबकर एक शख्स की मौत हो गई। ब्रिज के नीचे पानी में फंसे अपने माल ढोने वाले ऑटो को जब वह निकालने का प्रयास कर रहे थे तभी अचानक पानी का स्तर और बढ़ गया, जिससे वह निकल नहीं सके। डूब जाने के बाद उनके परिवार को सरकार 10 लाख रुपये की सहायता राशि भी जारी कर चुकी है। मगर यह अभी तक तय नहीं हो सका है कि उनकी मौत के लिए जिम्मेदार कौन सा विभाग है। मिंटो ब्रिज के नीचे भरने वाले पानी को निकालने की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग की है। यह विभाग जिस नाले में यहां का पानी डालता है वह जल बोर्ड का है। अब मौत के लिए सब एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

विधायक जी के गायब होने पर लगाए जा रहे कयास

जब दूसरे दलों के मजबूत लोग अपनी पार्टी छोड़कर किसी दूसरे दल में जाते हैं तो सबसे अधिक खुशी उस दल के उन नेताओं को होती है जो उस क्षेत्र के जिम्मेदार नेता होते हैं। खासकर विधायकों के लिए तो और भी खुशी की बात होती है। बृहस्पतिवार को महरौली विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के कई मजबूत नेता आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। इनमें कांग्रेस के वे नेता भी शामिल थे, जिन्होंने गत विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के सामने लड़ा था। कांग्रेस के इन लोगों को शामिल कराने के लिए पार्टी मुख्यालय में कार्यक्रम रखा गया था। इसमें आप नेता दुर्गेश पाठक और दिलीप पांडेय शामिल थे। उन्होंने इन नेताओं और इनके समर्थकों को पार्टी में शामिल कराया। मगर आप नेता व महरौली क्षेत्र से आप विधायक नरेश यादव कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे। इसे लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

नाम का कंफ्यूजन

कहते हैं कि काम कुछ ऐसा करो कि नाम हो जाए। मगर जब नाम को लेकर कंफ्यूजन होने लगे तो क्या करेंगे? आम आदमी पार्टी में एक ही नाम के दो नेता हैं। कभी कुछ अच्छा बुरा होता है तो दोनों नेता नाम के कारण परेशान हो जाते हैं। क्योंकि दोनों का नाम एक ही है। नाम की स्पेलिंग भी एक ही है। ये नेता हैं जरनैल सिंह। इसमें एक राजौरी गार्डन से पूर्व विधायक हैं और दूसरे तिलक नगर से विधायक हैं। बुधवार को पार्टी ने एक फेसबुक पोस्ट के चलते जरनैल सिंह को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। अब मीडिया में हल्ला मचा कि कौन से जरनैल सिंह। किसी ने राजौरी गार्डन वाले को बताया तो किसी ने तिलक नगर वाले को। कुछ लोगों ने तो तिलक नगर वाले जरनैल सिंह से उनका पक्ष तक मांग लिया। तब उन लोगों को पता चला कि मामला तो राजौरी गार्डन वाले पूर्व विधायक से जुड़ा है।


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