कोरोना वायरस के विंडो पीरियड में आखिर क्यों नहीं कराएं वैक्सीनेशन, पढ़िये- एक्सपर्ट की राय
Coronavirus Vaccination Drive Latest News वैक्सीन की पहली या दूसरी डोज लेने के बाद भी कोरोना संक्रमण हो रहा है मगर अनुभवी डॉक्टर कह रहे हैं कि जिनको वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमण हुआ है उनमें से ज्यादातर ने कोरोना वायरस के विंडो पीरियड में ही वैक्सीनेशन कराया था।
नई दिल्ली/फरीदाबाद [बिजेंद्र बंसल]। कोरोना पीडि़तों का इलाज कर रहे डॉक्टर वैक्सीनेशन को लेकर उत्पन्न हो रहे भ्रम को अब अपने अनुभव के आधार पर दूर कर रहे हैं। ऐसे अनेक मामले सामने आ रहे हैं कि वैक्सीनेशन कराने वालों में भी एकदम से कोरोना के लक्षण दिखाई दिए। ऐसे कई मरीजों को गंभीरावस्था के चलते अस्पतालों में दाखिल भी कराना पड़ा। कुछ ऐसे मरीजों की मौत भी हो रही है जिन्होंने वैक्सीन की डबल डोज भी ले रखी है। डॉक्टर मान रहे हैं कि वैक्सीन की पहली या दूसरी डोज लेने के बाद भी कोरोना संक्रमण हो रहा है, मगर ज्यादातर अनुभवी डॉक्टर कह रहे हैं कि जिनको वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमण हुआ है, उनमें से ज्यादातर ने अपने शरीर में कोरोना वायरस के विंडो पीरियड में ही वैक्सीनेशन कराया था।
डॉक्टर विंडो पीरियड उस अवस्था को नाम दे रहे हैं जब कोरोना वायरस के शरीर में प्राथमिक लक्षण हों। पहली या दूसरी डोज लेकर संक्रमित हुए मरीजों से एकत्र जानकारी के आधार पर फरीदाबाद जिला बादशाह खान सरकारी अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर विनय गुप्ता बताते हैं कि ज्यादातर ने खांसी, जुकाम, सिर दर्द, बदन दर्द, बुखार या थकावट रहते हुए वैक्सीनेशन कराया था। इसलिए वैक्सीन लगवाने वालों को यह सलाह दी जा रही है कि वे पहले अपना कोरोना टेस्ट कराएं, इसके बाद इंजेक्शन कराएं।हमें ध्यान रखना होगा कि कोरोना वायरस ऐसा सूक्ष्म विषाणु है जिसकी न बाडी है और न दिमाग मगर इसके सामने दुनिया का सबसे ज्यादा दिमाग रखने वाला मानव जीव भी मुकाबला करने में समर्थ नहीं है।
डॉक्टर निष्ठा गुप्ता (वरिष्ठ चिकित्सक) कहती हैं कि वैक्सीनेशन इसी विषाणु से जंग लड़ने को है इसलिए पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही वैक्सीनेशन कराएं क्योंकि कुछ मरीजों के इलाज के दौरान ऐसी बात सामने आ रही है कि शरीर में संक्रमण के प्राथमिक दौर में टीका लगवाने से संक्रमण एकाएक बढ़ जाता है। वैसे टीका लगवाने के बाद लोग भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में भी कुछ दिन जाने से परहेज करें।
डॉक्टर राजेश बुद्धिराजा (प्रमुख, इंटरनल मेडिसिन, एशियन अस्पताल, फरीदाबाद) का कहना है कि हमारी सलाह है कि किसी भी प्रकार की एलर्जी, खून पतला करने की दवा लेने, वाल्व का आपरेशन कराने वाले और हृदय रोगी को कोरोना वैक्सीनेशन कराने से पहले डाक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।वैक्सीनेशन तब होना चाहिए जब शरीर में अन्य किसी दवा का प्रभाव न हो। देखने में आ रहा है कि कई लोग पहला टीका लगवाने के बाद दूसरी डोज लेने नहीं आ रहे हैं। पहली डोज बूस्टर का काम करती हैं, जबकि दूसरी डोज लगने के 14 दिन बाद कोरोना के खिलाफ एंटीबाडी विकसित होती है।