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AAP विधायक का सवाल, सुप्रीम कोर्ट में फेसबुक का साथ क्यों दे रही है केंद्र सरकार

फेसबुक मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार के सबसे बड़े वकील तुषार मेहता ने कल सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने फेसबुक की वकालत की।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 12:43 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 12:43 PM (IST)
AAP विधायक का सवाल, सुप्रीम कोर्ट में फेसबुक का साथ क्यों दे रही है केंद्र सरकार
आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज की फाइल फोटो।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। आम आदमी पार्टी (AAP) के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने सुप्रीम कोर्ट में भाजपा शासित केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता द्वारा फेसबुक की वकालत करने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति द्वारा फेसबुक इंडिया के अजीत मोहन को तलब करने के मामले में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में फेसबुक का साथ क्यों दे रही है? आखिर फेसबुक और केंद्र सरकार के बीच क्या रिश्ता है? भाजपा सरकार दिल्ली दंगों को भड़काने में फेसबुक की भूमिका की जांच पर आपत्ति जता रही है, इससे भाजपा पर गंभीर सवाल उठ हो रहे हैं।

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सौरभ ने शुक्रवार को कहा कि विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति ने फेसबुक के अधिकारियों को समन भेजकर उसके सामने पेश होने के लिए कहा था। समिति ने फेसबुक से जानकारी मांगी थी कि आपके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किस तरह की खबरें प्रकाशित होती हैं। फेसबुक पर शेयर किए जाने वाली सामग्री को आप कैसे कंट्रोल करते हैं? उन्होंने कहा कि समिति ने फेसबुक से पूछा था कि अगर कोई यूजर फेसबुक पर दंगे भड़काने वाली सामग्री डालता है और दो समुदायों को एक दूसरे के खिलाफ लड़ाना चाहता है, तो आप इस पर कैसे रोक लगाते हैं। दिल्ली में जो दंगे हुए थे, क्या उससे संबंधित भड़काऊ सामग्री आपके प्लेटफॉर्म पर शेयर की गई थी?

विधानसभा की समिति के सामने पेश होने और जवाब देने से बचने के लिए फेसबुक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। फेसबुक ने कोर्ट में कहा कि हम समिति के सामने पेश नहीं होना चाहते। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार के सबसे बड़े वकील तुषार मेहता ने कल सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने फेसबुक की वकालत की।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार, विधानसभा और विधानसभा की समिति को यह हक नहीं है कि वो फेसबुक के अधिकारियों को बुलाकर पूछताछ कर सके। केंद्र सरकार भी फेसबुक को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है। फेसबुक और केंद्र सरकार के बीच में क्या रिश्ता है? अगर दंगे भड़काने वाले संदेश, भाषण, वीडियो और इस तरह की अन्य सामग्री फेसबुक पर प्रचारित और प्रकाशित होने की आशंका है, तो केंद्र सरकार को इसकी जांच होने पर क्या आपत्ति है?  

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