क्षेत्र के अन्य अतिक्रमण-अनाधिकृत निर्माण पर एनडीएमसी ने क्यों नही की कार्रवाई: हाई कोर्ट
चुनिंदा तौर पर अनाधिकृत निर्माण व अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए दायर की गई जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) पर सवाल उठाया। मामले में अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। चुनिंदा तौर पर अनाधिकृत निर्माण व अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए दायर की गई जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) पर सवाल उठाया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने एनडीएमसी से पूछा कि इलाके में अतिक्रमण व अनाधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। पीठ ने कहा कि निश्चित तौर पर आपने याचिकाकर्ता की संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई करके अच्छा काम किया है, लेकिन उम्मीद है कि एनडीएमसी इस तरह की कार्रवाई अतिक्रमण-अनाधिकृत निर्माण करने वाले हर संपत्ति मालिक के खिलाफ करेगा।
पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए एनडीएमसी को उत्तरी दिल्ली स्थित भाई परमानन्द कालोनी क्षेत्र में हुए अनाधिकृत निर्माण व अतिक्रमण पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। साथ ही क्षेत्र में अतिक्रमण व अनाधिकृत निर्माण की तस्वीरें भी रिकार्ड में दर्ज करने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी।
याचिकाकर्ता देव राज कपूर ने अधिवक्ता तरुण राणा, आदित्य सरीन व एम. एम. खान के माध्यम से याचिका दायर करके कहा कि मुखर्जी नगर इलाके में 700 से अधिक भवनों में अनाधिकृत निर्माण किया गया है। लेकिन, एनडीएमसी ने सिर्फ उनकी संपत्ति पर ही चुनिंदा तरीके से कार्रवाई की।उन्होंने दलील दी कि इलाके में बिना प्लान पास कराए चौथे तल पर निर्माण किया गया। वहीं, भूतल पर सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण करके निर्माण किया गया है।
इतना ही नहीं अतिक्रमण कमरों का निर्माण करके व्यावसायिक गतिविधियों संचालित की जा रही हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि अतिक्रमण और अनाधिकृत निर्माण की जानकारी होने के बाद भी एनडीएमसी के अधिकारियों की तरफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने मांग की है कि भाई परमानंद कालोनी में हुए सभी अतिक्रमण व अनाधिकृत निर्माण को हटाने का एनडीएमसी को निर्देश दिया जाए।