PM मोदी पर प्रहार से क्यों कन्नी काट रहे केजरीवाल, जानें Tweets war के अनछुए पहलू
केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच चल रहा ट्वीट वार करीब-करीब समाप्त हो गया है। मोदी पर लगातार प्रहार करने वाले केजरीवाल आखिर क्यों शांत हो गए। जानते हैं इसके पीछे के राज।
नई दिल्ली [ जेएनएन ] । 'मोदी ने दिल्ली में आपातकाल घोषित किया है,' 'तानाशाह है मोदी सरकार ' दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किए गए ये आखिरी ट्वीट हैं, जो 9 मार्च 2017 में किए गए थे। इस ट्वीट को किए 11 माह बीत चुके हैं। इसके बाद से मोदी के खिलाफ केजरीवाल ने कोई ट्वीट नहीं किया। अपनी तल्ख और त्वरित टिप्पण्ाी के कारण अक्सर सुर्खियों में रहने वाले केजरीवाल आखिर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अचानक क्यों मौन हो गए, इसे लेकर सियासी बाजार में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हद तो तब हो गई जब देश के सबसे बड़े बैंक घोटाले में उन्होंने मोदी के बाजए भाजपा को कटघरे में खड़ा किया। आखिर क्यों।
दिल्ली के आम आदमी को भाया था केजरीवाल का मुखर और बेबाक स्वभाव
शुरुआती दिनों में केजरीवाल को मुखर स्वभाव दिल्ली की जनता को खुब भाता था। अपनी राजनीतिक पारी के शुरुआती दिनों में वह किसी भी दिग्गज राजनेता के खिलाफ बेबाक टिप्पणी कर देते थे। उन्हें किसी का भय नहीं सताता था। वर्ष 2011 एवं 2012 में जब उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। उस वक्त वह केंद्र सरकार पर सीधे प्रहार करते थे। उनके निशाने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सीधे सोनिया गांधी रहती थीं। यह अंदाज दिल्ली की जनता को रास आता था। शायद यही बेबाकी उनको राजनीति के उत्कर्ष तक ले गया। उनकी सादगी और बोलने का बेबाक अंदाज दिल्ली के आम आदमी को पंसद आया।
कहीं लगातार चुनावी हार तो नहीं बनी इसकी वजह
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोदी को लेकर ट्वीट में यह बदलाव आप के चुनावों में हुए लगातार भारी नुकसान के बाद आया है। केजरीवाल ने पहले के अपने ट्वीट्स में मोदी पर निशाना साधा था। ऐसा माना जाता है कि मोदी को लेकर ट्वीट की वजह से आप को सबसे पहले पंजाब व गोवा फिर दिल्ली के नगर निगम चुनावों व 2017 के राजौरी गार्डेन के उपचुनाव में नुकसान हुआ। केजरीवाल को शायद यह लगता है कि किसी एक व्यक्ति पर प्रहार करना सियासी कम और व्यक्तिगत ज्यादा होगा।
उन्होंने शायद यह भी सोचा होगा कि एक व्यक्ति को निशाना साधने पर क्षति एक व्यक्ति की हो सकती है, पूरी इससे पार्टी बरी रहेगी। शायद इसलिए उन्होंने अपनी रणनीति में बदलाव किया हो। वजह चाहे जो भी हो पर इतना तय है कि उन्होंने मोदी पर सीधे प्रहार करना बंद ही कर दिया। एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा कि यह फैसला बीते साल दिल्ली नगर निगम चुनावों में हार के बाद बुलाई गई बैठक में लिया गया। इन चुनावों में आप 48 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही और भाजपा ने 181 सीटों पर जीत दर्ज की। यह आप के लिए बड़ा झटका था। जबकि 2015 के विधानसभा चुनावों में आप ने 70 सीटों में से 67 पर जीत दर्ज की थी।
PNB में 13400 करोड के घोटाला पर भी भाजपा को घेरा
केजरीवाल की चुप्पी का आलम यह है कि 11 हजार करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार और भाजपा पर निशाना साध रही है। इस घोटाले में सारा विपक्ष मोदी के खिलाफ एकजुट हो गया है, लेकिन केजरीवाल इससे कतराते रहे। उन्होंने मोदी या प्रधानमंत्री पर निशाना नहीं साधा है। उन्होंने इस मामले में भी भारतीय जनता पार्टी की मिलीभगत कहकर घोटाले की निंदा की है।
2016 में मोदी का जिक्र अपने ट्वीट में 124 बार व 2017 में 33 बार किया
केजरीवाल ने 2016 में मोदी का जिक्र अपने ट्वीट में 124 बार व 2017 में 33 बार किया था। उन्होंने इन ट्वीट में प्रधानमंत्री पर हमला बोला था। ट्विटर पर केजरीवाल के बड़ी संख्या में फॉलोअर हैं। आप प्रमुख ने अपने किसी भी ट्वीट में 2017 व 2018 में टैग नहीं किया है। साल 2016 में उन्होंने प्रधानमंत्री को आठ बार टैग किया था। केजरीवाल ने यहां तक कि आप के 20 विधायकों को जनवरी में इस साल अयोग्य करार दिए जाने के दौरान प्रधानमंत्री पर निजी तौर पर हमले से परहेज किया।