दिल्ली का बॉस कौन होगा, केंद्र और AAP सरकार की दलीलें पूरी और फैसला सुरक्षित
आम आदमी पार्टी की सरकार ने शीर्ष अदालत से दिल्ली की निर्वाचित सरकार और उप राज्यपाल के अधिकार को स्पष्ट करने का आग्रह किया है।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। सुप्रीम कोर्ट ने 'दिल्ली का बॉस कौन' मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ के सामने दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों पर दलीलें पूरी हो गई। दिल्ली सरकार ने उप राज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक मुखिया घोषित करने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने शीर्ष अदालत से दिल्ली की निर्वाचित सरकार और उप राज्यपाल के अधिकार को स्पष्ट करने का आग्रह किया है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एमएम खानविलकर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से पेश दिग्गज वकीलों की चार सप्ताह तक दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम, पी. चिदंबरम, राजीव धवन, इंद्रा जयसिंह और शेखर नाफड़े ने दलील पेश की। केंद्र सरकार का पक्ष अतिरिक्त सालिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने रखा।
दिल्ली सरकार ने कहा
दिल्ली सरकार की दलील थी कि संविधान के तहत दिल्ली में चुनी हुई सरकार है। चुनी हुई सरकार के मंत्रिमंडल को न सिर्फ कानून बनाने का बल्कि कार्यकारी आदेश के जरिये उन्हें लागू कराने का भी अधिकार है। दिल्ली सरकार का आरोप था कि उप राज्यपाल चुनी हुई सरकार को कोई काम नहीं करने देते और हर एक फाइल व सरकार के प्रत्येक निर्णय को रोक लेते हैं।
केंद्र सरकार का जवाब
केंद्र सरकार की दलील थी कि भले ही दिल्ली में चुनी हुई सरकार हो लेकिन दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है। दिल्ली विशेष अधिकारों के साथ केंद्र शासित प्रदेश है। दिल्ली के बारे में फैसले लेने और कार्यकारी आदेश जारी करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। दिल्ली सरकार किसी तरह के विशेष कार्यकारी अधिकार का दावा नहीं कर सकती है।