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दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के पीछे कौन सा वायरस है जिम्मेदार, स्वास्थ्य विभाग इस तकनीक से करेगा पता

दिल्ली में अब तक 405 मरीजों की मौत हो चुकी है। कोरोना से संक्रमित होने के दौरान आरटी-पीसीआर जांच के लिए जो सैंपल लिए गए थे उनकी जीनोम सीक्वेंसिंग की जाएगी। तीन-चार दिन में उसकी रिपोर्ट आने की संभावना है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 01:24 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 03:15 PM (IST)
दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के पीछे कौन सा वायरस है जिम्मेदार, स्वास्थ्य विभाग इस तकनीक से करेगा पता
ओमिक्रोन का संक्रमण हल्का होने के बावजूद दिल्ली में कोरोना से मौत के मामले बढ़े हैं।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। ओमिक्रोन का संक्रमण हल्का होने के बावजूद दिल्ली में कोरोना से मौत के मामले बढ़े हैं। ये मौतें कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के संक्रमण के कारण हुई या डेल्टा से, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। इसके मद्देनजर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने हाल के दिनों में कोरोना से मरने वाले मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू करा दिया है, ताकि पता चल सके कि मरीजों की मौत डेल्टा के संक्रमण से हुई या ओमिक्रोन के संक्रमण से।

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लोकनायक अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि दिल्ली सरकार ने बुधवार को मृतकों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग कराने का निर्देश दिया है। इसके बाद बृहस्पतिवार से मृतकों के सैंपल की जीनोम सीक्वें¨सग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कोरोना से संक्रमित होने के दौरान आरटी-पीसीआर जांच के लिए जो सैंपल लिए गए थे, उनकी जीनोम सीक्वेंसिंग की जाएगी। तीन-चार दिन में उसकी रिपोर्ट आने की संभावना है।दरअसल, पिछले माह पांच दिसंबर को ओमिक्रान का पहला मामला सामने आने के बाद से दिल्ली में अब तक 405 मरीजों की मौत हो चुकी है।

इस माह 20 दिन में ही 396 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 10 जनवरी के बाद 11 दिन में 326 मरीजों की मौत हुई है। यह भी बात सामने आ चुकी है कि इस माह करीब 95 प्रतिशत मरीजों में ओमिक्रोन का संक्रमण हुआ है। ऐसे में विशेषज्ञ मान रहे हैं कि डेल्टा का संक्रमण काफी हद तक कम हुआ है। ऐसे में कोरोना से मरने वाले कुछ मरीजों में ओमिक्रोन का संक्रमण होना बहुत हैरानी की बात नहीं होगी।

हालांकि, यह बात भी सामने आ चुकी है कि इस बार कोरोना संक्रमित ऐसे मरीजों की मौत अधिक हुई जिन्हें पहले से कैंसर, दिल, लिवर या किडनी की गंभीर बीमारी थी। कई मरीज अस्पतालों में भर्ती ही किसी दूसरी गंभीर बीमारी के कारण हुए थे, बाद में वे कोरोना संक्रमित पाए गए।


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