सीएम केजरीवाल ने जब कराया सच से सामना तो मुंह चुराने लगे सभी अधिकारी, लगाई जमकर क्लास
दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में पीड़ित को सामने खड़ाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अधिकारियों को हकीकत दिखाई। सीएम ने मुख्य सचिव विजय देव की ओर देखा और कहा कि इस तरह योजना पर काम हो रहा है। उन्होंने अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में पीडि़त को सामने खड़ाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अधिकारियों को हकीकत दिखाई। कोरोना के कारण मृत लोगों के स्वजन को आर्थिक मदद उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना की समीक्षा बैठक में सीएम के सामने अधिकारी बगलें झांकते दिखे। इससे पहले बैठक में अधिकारी योजना की वाहवाही कर रहे थे और सीएम को बता रहे थे बहुत बढ़िया काम हो रहा है। हुआ यूं कि सीएम मुख्यमंत्री शुक्रवार को परिवार आर्थिक सहायता योजना की समीक्षा बैठक ले रहे थे।
बैठक में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, मुख्य सचिव विजय देव और सभी जिलाधिकारी मौजूद थे। समीक्षा बैठक के दौरान सीएम ने योजना के बारे में अधिकारियों से रिपोर्ट ली तो अधिकारियों की ओर से कहा गया कि योजना पर बहुत अच्छी तरह से काम चल रहा है। किसी को परेशानी नहीं हो रही है सभी को मदद दी जा रही है।
यह सुन केजरीवाल ने कहा कि उन्हें (पीड़ित) को अंदर ले आइए। अंदर जो व्यक्ति लाया गया उसने सच सामने रख दिया कि किस तरह उसे परेशान किया गया।नजफगढ़ के रहने वाले पीडि़त ने बताया कि उनके पिता की कोरोना से मौत पर एक शिक्षक ने उनके घर आकर फार्म भरवाया और सत्यापन करने का लेटर भी दिया। इसके बाद उनके पास फोन आया कि आपको आनलाइन फार्म भरना होगा। उन्होंने आनलाइन आवेदन जमा कर दिया। फिर एसडीएम कार्यालय से फोन आया कि आप सारे कागज लेकर आइए और सत्यापन कराइए। साथ ही आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट भी मांगी गई। उन्होंने बताया कि मेरे पास आरटीपीसीआर रिपोर्ट नहीं है। तब कहा गया कि आरटीपीसीआर रिपोर्ट अवश्य चाहिए। इसके बाद उन्होंने एसडीएम कार्यालय जाकर अपनी समस्या बताई, तब जाकर सत्यापन किया गया है कि उनके पिता की मृत्यु कोरोना से हुई है।
केजरीवाल ने लगाई अधिकारियों की क्लास
सीएम केजरीवाल ने मुख्य सचिव विजय देव की ओर देखा और कहा कि इस तरह योजना पर काम हो रहा है। उन्होंने पीड़ित को बैठक कक्ष से बाहर भेजा और अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई। मुख्य सचिव ने भी इस के लिए अधिकारियों से कड़ी नाराजगी व्यक्त की। इसके बाद सीएम ने कोरोना से हुई मौत पर मृत्यु प्रमाणपत्र और सर्वाइविंग मेंबर सर्टिफिकेट (जीवित होने का प्रमाणपत्र) की आवश्यकता को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किया कि कोरोना से हुई मौत को सत्यापित करने के लिए गृह मंत्रालय से जारी सूची ही पर्याप्त है।
इसके लिए किसी भी अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। सीएम ने निर्देश दिए कि गृह मंत्रालय की लिस्ट से मृतकों का नाम सत्यापित कर बुधवार तक हर हाल में सभी पीडि़तों के घर जाकर इस राशि का वितरण कर दें। इस संबंध में बुधवार को फिर समीक्षा बैठक की जाएगी।
1,250 लोगों ने अनुग्रह राशि लेने से किया इन्कार
मुख्यमंत्री परिवार आर्थिक सहायता योजना के अंतर्गत एकमुश्त अनुग्रह राशि (50 हजार रुपये) प्राप्त करने के लिए 25,709 आवेदन आए हैं। इसमें से स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एमएचए की सूची से 24,475 आवेदनों का मिलान कर लिया गया है। योजना के तहत 7,163 लोगों को अनुग्रह राशि दी जा चुकी है। कर्मचारियों ने करीब 19 हजार आवेदकों के घरों का दौरा कर सत्यापन कर लिया है। सत्यापन के दौरान 1,250 लोगों ने अनुग्रह राशि लेने से इन्कार कर दिया है। 24,475 आवेदकों में से 9043 आवेदकों को योजना से लाभांवित करने की मंजूरी प्रदान की गई है। 1,425 आवेदनों को विभिन्न कारणों से रद कर दिया गया है।
योजना के तहत मासिक वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए 6,700 आवेदन आए हैं। इसमें से 3,648 आवेदनों को मंजूरी प्रदान की जा चुकी है और 3,131 लाभार्थियों को मासिक वित्तीय सहायता का लाभ मिल रहा है। अभी तक इनके खाते में एक करोड़ 56 लाख 57 हजार 500 रुपए ट्रांसफर किया जा चुका है।