अनलॉक को लेकर उद्यमियों की क्या हैं तैयारियां? पढ़ें- सीआइआइ दिल्ली के अध्यक्ष कंवल जीत जावा का पूरा इंटरव्यू
औद्योगिक गतिविधियों के शुरू होने से निश्चित ही उद्यमियों व कामगारों के साथ दिल्ली की अर्थव्यवस्था को राहत मिलेगी। पर दिल्ली में आधा लॉकडाउन अभी लागू ही है। दुकानें बाजार अभी भी बंद हैं। अब सवाल यह है कि उद्योग को कच्चा माल कहां से मिलेगा।
नई दिल्ली। 41 दिनों के लंबे लॉकडाउन के बाद दिल्ली में सोमवार से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पहले चरण में सोमवार से उद्योग व निर्माण क्षेत्र की गतिविधियों को शुरू करने की अनुमति मिली है। राजधानी दिल्ली में 29 अधिकृत व 22 अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्र हैं। इनमें लगभग दो लाख छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयों में लगभग 15 लाख लोग कार्य करते हैं। फैक्ट्रियां बंद होने के चलते इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। अनलॉक में गतिविधियों को शुरू करने को लेकर उद्यमियों की क्या तैयारियां हैं और क्या उम्मीदें हैं, इसे लेकर नेमिष हेमंत ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) दिल्ली के अध्यक्ष कंवल जीत जावा से बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश...।
अनलॉक को किस तरह देखते हैं, इससे उद्यमियों को कितनी राहत मिलेगी?
अच्छी बात है कि अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई है। औद्योगिक गतिविधियों के शुरू होने से निश्चित ही उद्यमियों व कामगारों के साथ दिल्ली की अर्थव्यवस्था को राहत मिलेगी। पर दिल्ली में आधा लॉकडाउन अभी लागू ही है। दुकानें, बाजार अभी भी बंद हैं। अब सवाल यह है कि उद्योग को कच्चा माल कहां से मिलेगा। वे अपने उत्पाद कहां बेचेंगे। कारोबार में पूरा एक चक्र होता है। उसके सभी भागीदार होते हैं। उसमें कारोबारी और बाजार महत्वपूर्ण भाग है। जब बाजार, दुकानें और शो रूम नहीं खुलेंगे तो अर्थव्यवस्था का चक्र नहीं घूमेगा। बाजार से पैसा वापस उद्योग को नहीं आएगा। इसलिए इसको चलाने के लिए जरूरी है कि सभी कारोबारी गतिविधियों को थोड़ी-थोड़ी अनुमति मिले।
कारोबारी गतिविधियों को भी अनुमति देने के पक्ष में है?
दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले कम हो चुके हैं। व्यापारी भी इसकी मांग कर रहे हैं। उनके सामने भी लाकडाउन से आर्थिक संकट गहराया हुआ है। उन्हें खोलने की अनुमति मिले तो दिल्ली की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
गतिविधियां शुरू करने को लेकर क्या तैयारियां हो रहीं हैं?
अभी तक सरकार द्वारा कारोबारी गतिविधियों को शुरू करने को लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी नहीं की गई है। ऐसे में चीजें तय नहीं हैं। दूसरे, अभी कई व्यावहारिक दिक्कतें हैं। बड़ी समस्या सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के सुचारू न होने से है। मेट्रो ट्रेन सेवा शुरू नहीं हुई है। पर्याप्त संख्या में बसें नहीं चल रही है। किस तरह कामगार फैक्ट्री तक पहुंचेंगे यह तय नहीं है। इन सवालों के उत्तर बाकी हैं। पिछले वर्ष के अनलॉक की प्रक्रिया में भी यह समस्या सामने आई थी। कम से कम एक सप्ताह का समय तो लग ही जाएगा।
वर्तमान में क्या-क्या दिक्कतें हैं?
सबसे बड़ा सवाल उद्योगों के लिए ऑक्सीजन का है। जब इसकी कमी से हाहाकार की स्थिति थी, तब यहां की ऑक्सीजन लोगों की जान बचाने के लिए अस्पतालों को दी गई। लेकिन, अब दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में चिकित्सा ऑक्सीजन की कमी नहीं है। अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट लग रहे हैं। काफी संख्या में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आ गए हैं, इसलिए अब उद्योगों को आक्सीजन की आपूर्ति शुरू करनी चाहिए। कई सारे उत्पाद ऑक्सीजन आधारित हैं। इनमें फ्रिज, एसी जैसे सामानों के साथ ही मोटर पार्ट्स व अन्य उत्पाद शामिल हैं। लेकिन, इसे लेकर केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा कोई दिशानिर्देश नहीं आया है।
कामगारों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए क्या किया जा रहा है?
इसका एक मात्र हल टीकाकरण है। मौजूदा कोरोना की लहर ह्दय विदारक रही। काफी लोगों ने अपने रिश्तेदारों और करीबियों को खोया है। ऐसा कोई नहीं है जिसके अपने जानने वाले की जान न गई हो। दिल्ली में तो स्थिति भयावह रही, क्योंकि यहां स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद कोई तैयारी नहीं थी। एक भी आक्सीजन प्लांट नहीं लगाया गया। इसलिए सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की किल्लत दिल्ली में ही हुई। चिंता की बात है कि ऑक्सीजन को लेकर जारी सियासी घमासान अब टीके तक पहुंच गया है। जबकि, हम चाहते हैं कि सबको टीका लगे। सभी कामगारों को टीका लगेगा तभी फैक्टि्रयों को सुरक्षित रख पाएंगे।