कोरोना को मात देने को दो मोर्चे पर जंग, अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को करनी पड़ रही 12 घंटे तक की ड्यूटी
कोरोना के बढ़ते संक्रमण से इस बीमारी की रोकथाम के अभियान से जुड़े स्वास्थ्य व अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों की चुनौती बढ़ गई है। कोरोना को मात देने के लिए उन्हें दो मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते संक्रमण से इस बीमारी की रोकथाम के अभियान से जुड़े स्वास्थ्य व अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों की चुनौती बढ़ गई है। कोरोना को मात देने के लिए उन्हें दो मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है। एक तो टीकाकरण बढ़ाने के लिए प्रमुखता सूची वाले अधिक से अधिक लोगों को पंजीकृत कराने व जागरूक करने की जिम्मेदारी है।
वहीं दूसरी ओर कोरोना के मामले बढ़ने से एक बार फिर संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान करने और लोगों से बचाव के नियमों का पालन सुनिश्चित कराने की चुनौती है। ताकि दिल्ली में कोरोना का संक्रमण अधिक बढ़ने न पाए। इस वजह से अभियान से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी की अवधि भी बढ़ गई है।
कोरोना की रोकथाम और टीकाकरण अभियान से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य, जिला प्रशासन व अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को 11 से 12 घंटे तक ड्यूटी करना पड़ रहा है। कोरोना के मामले कम होने पर कर्मचारियों को थोड़ी राहत मिली थी। क्योंकि जांच थोड़ी कम कर दी गई थी और मरीजों के संपर्क में आए लोगों की पहचान का काम भी नहीं हो रहा था।
बाजारों व सड़कों पर बगैर मास्क के चलने वालों को चालन करने का अभियान भी कम कर दिया गया था। अब एक बार फिर बचाव के नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ सख्ती शुरू कर दी गई। इस कार्य में जिला प्रशासन से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगाई गई है। टीकाकरण का दायित्व भी स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मिलकर जिला प्रशासन के कर्मचारी संभाल रहे हैं। इस बीच सरकार ने अब कोरोना से पीड़ितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान और उन्हें आइसोलेट करने का भी निर्देश दिया है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में कोरोना के मामले 500 से अधिक आने लगे हैं। वहीं अब तक कुल नौ लाख 12 हजार 230 लोगों को टीका लगा है। दिल्ली में बुजुर्गों, 45 साल से अधिक उम्र के गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों, स्वास्थ्य व अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को मिलाकर करीब 30 लाख लोगों को टीका लगना है। इस लिहाजा से अभी टीकाकरण बहुत कम हुआ है। इसलिए लोगों को जागरूक करने के लिए पहल शुरू की गई है।