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समाज में व्याप्त छुआछूत के चलते हिंदू समाज बंटा हुआ है: विहिप

विहिप के केंद्रीय मंत्री व राष्ट्रीय समरसता प्रमुख देवजी भाई भारत रावत ने कहा कि समाज में व्याप्त छुआछूत के चलते हिंदू समाज बंटा हुआ है। ऐसे में विहिप ने संकल्प लिया है कि देश के अंदर हर प्रकार की छुआछूत का समूल नाश कर समाज में समरसता लाएंगे।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 10:05 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 10:05 AM (IST)
समाज में व्याप्त छुआछूत  के चलते हिंदू  समाज बंटा हुआ है: विहिप
विहिप ने संकल्प लिया है कि हर प्रकार की छुआछूत का समूल नाश कर समाज में समरसता लाएंगे।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मंत्री व राष्ट्रीय समरसता प्रमुख देवजी भाई भारत रावत ने कहा कि समाज में व्याप्त छुआछूत (अस्पृश्यता) के चलते हिंदू समाज बंटा हुआ है। ऐसे में विहिप ने संकल्प लिया है कि देश के अंदर हर प्रकार की छुआछूत का समूल नाश कर समाज में समरसता लाएंगे। सामाजिक विषमता का अंत करते हुए पिछड़े व वंचित समाज के बंधुओं को समाज की मुख्य धारा में लाकर उन्हें आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से समृद्ध करेंगे।

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वे चाणक्यपुरी स्थित भगवान वाल्मीकि मंदिर में विहिप की ओर से आयोजित सामाजिक समरसता संकल्प सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि समाज धर्म योद्धा समाज है, जिन्होंने हिंदू समाज की रक्षा की। चाहे मैला ढोना स्वीकार किया, लेकिन स्वधर्म नहीं छोड़ा और सतत रूप से हिंदू समाज, हिंदू जीवन मूल्यों और हिंदू संस्कृति की रक्षा के लिए कार्य किया। हमें इन पर गर्व है।

उन्होंने बताया कि छुआछूत को खत्म कर समरस समाज की स्थापना के लिए विहिप की ओर से 14 जनवरी से 10 दिवसीय राष्ट्रीय अभियान चलाया जा रहा है। विहिप के प्रांत अध्यक्ष कपिल खन्ना ने कहा कि एक कुआं, एक श्मशान और एक मंदिर प्रत्येक गांव में सबके लिए समान रूप से खुले होंगे। हम किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होने देंगे, यह हमारा संकल्प है। समरस समाज की पुनस्र्थापना के लिए हमने कमर कस ली है।

मंदिर के महंत विवेकनाथ महाराज ने कहा कि वाल्मीकि समाज को भारत की स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी वह न्याय नहीं मिल पा रहा, जिसकी अपेक्षा थी। हमें आशा है कि विहिप के ये प्रयास सार्थक होकर संपूर्ण हिंदू समाज को एकाकार करने में मील का पत्थर साबित होंगे। इस अवसर पर वाल्मीकि समाज के दिनेश हितैषी व रूपेश महवा वाल्मीकि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम के बाद समरसता भोज का आयोजन किया गया। मंदिर प्रांगण में साथ बैठकर सभी ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया और समरस समाज की स्थापना के संकल्प के साथ विदा हुए।


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