Delhi: अस्पताल में धूल फांक रहे वेंटिलेटर, पर्याप्त संसाधन के बावजूद भर्ती नहीं किए जा रहे कोरोना मरीज
संकट की इस घड़ी में गंभीरता दिखाने के बजाय अस्पताल प्रशासन जिम्मेदारियों से बचने के लिए सरकार से जानकारियों को छुपा रहा है। जनकपुरी स्थित अतिविशिष्ट अस्पताल के स्टोर रूम में चार नए वेंटिलेटर लंबे समय से धूल फांक रहे है और चार वेंटिलेटर फिलहाल प्रयोग में है।
नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। मौजूदा हालात में एक तरफ आइसीयू बेड की भारी कमी खल रही है और दूसरी तरफ दिल्ली सरकार का एक अस्पताल ऐसा भी है जहां पर्याप्त सुविधाएं होने के बावजूद उनका अभी तक प्रयोग शुरू नहीं किया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि प्रशासन व सरकार को अस्पताल में उपलब्ध स्वास्थ्य उपकरणों व सुविधाओं की कोई जानकारी नहीं है। संकट की इस घड़ी में गंभीरता दिखाने के बजाय अस्पताल प्रशासन जिम्मेदारियों से बचने के लिए सरकार से जानकारियों को छुपा रहा है।
असल में जनकपुरी स्थित अतिविशिष्ट अस्पताल के स्टोर रूम में चार नए वेंटिलेटर लंबे समय से धूल फांक रहे है और चार वेंटिलेटर फिलहाल प्रयोग में है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण अस्पताल पर मरीजों का दबाव फिलहाल काफी कम है। ऐसे में अस्पताल में आठ वेंटिलेटर है, जिनका मौजूदा समय में इस्तेमाल किया जा सकता है। पर अस्पताल को कोविड अस्पताल में तब्दील करने से पूर्व जब सरकार ने अस्पताल प्रशासन से अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्य उपकरणों व सुविधाओं की जानकारी मांगी तब अस्पताल प्रशासन ने इन वेंटिलेटरों का कहीं कोई जिक्र नहीं किया।
आलम यह है कि सरकार ने अस्पताल प्रशासन से मिली जानकारी के आधार पर यहां आइसीयू बेड संरक्षित करने की योजना को दरकिनार कर केवल आक्सीजन युक्त बेड को संरक्षित करने की योजना तैयार की थी। पर आश्चर्य की बात यह है कि उस पर भी अभी तक यहां काम शुरू नहीं किया गया है।
बता दें कि 18 अप्रैल को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के विशेष सचिव एसएम अली ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली के 12 सरकारी कोविड अस्पतालों में बेड बढ़ाने के लिए एक आर्डर जारी किया था। जिनमें एक जनकपुरी स्थित अतिविशिष्ट अस्पताल भी शामिल था। सरकार ने यहां अस्पताल प्रशासन को कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए 100 बेड आरक्षित करने का निर्देश दिया था। एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने इस दिशा में अभी तक भी कोई कार्रवाई सुनिश्चित नहीं की है।
यहां पर भर्ती होने के लिए पहुंचने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल के गेट से लौटाया जा रहा है। इस पर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि सरकार के दिशानिर्देशानुसार कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था कर ली गई है, लेकिन आक्सीजन उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीज को फिलहाल भर्ती नहीं किया जा रहा है। पर जमीनी स्तर की बात करें तो जिन वार्ड में बेड की व्यवस्था करने का अस्पताल प्रशासन दावा कर रहा है वे फिलहाल वे भी धूल फांक रहे है। उनमें लंबे समय से सफाई नहीं हुई है। जिला प्रशासन भी इस बात से अनजान है। एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अतिविशिष्ट अस्पताल अब तक पूरी स्वास्थ्य सेवाओं के साथ शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में यहां फिलहाल कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवा शुरू करनी की अपार संभावनाएं है।
प्रशासन को चाहिए कि वह सामुदायिक भवन, निगम स्कूल, होटल, सोसाइटी परिसर आदि स्थानों पर बेड संरक्षित करने के बजाय अस्पताल में मौजूद स्थान का बखूबी इस्तेमाल करें। न सिर्फ अतिविशिष्ट अस्पताल बल्कि अस्पताल परिसर में ही स्थित दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट में भी कोरोना मरीजाें के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को शुरू किया जा सकता है।