सावरकर के अखंड भारत का सपना पूरा करने के लिए सभी को संकल्पबद्ध होने की जरूरत: मोहन भागवत
भागवत ने सावरकर को सच्चा देशभक्त और बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी बताते हुए कहा कि उनकी भविष्यवाणी एक-एककर सही साबित हो रही है चाहे बंटवारे के बाद पाकिस्तान से लगती सीमा पर तनाव की बात हो चीन के साथ संबंधों पर सब सही साबित हुए हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि वर्ष 2014 के बाद से देश की सुरक्षा नीति में आमूलचुल बदलाव आया है। पहले राष्ट्रनीति के पीछे देश की सुरक्षा नीति चलती थी और इसकी आलोचना करने वालों को चुप करा दिया जाता था। वहीं, 2014 के बाद सुरक्षा नीति के पीछे राष्ट्रनीति चल रही है।
उनका यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी देश की सुरक्षा खासकर सीमा पर चीनी सैनिकों के जमावाड़े को लेकर मौजूदा केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में वीर सावरकर आधारित पुस्तक विमोचन समारोह में भागवत ने देश की सुरक्षा नीति में आए इस बदलाव को वीर सावरकर की राष्ट्रनीति से जोड़ा और कहा कि अब अपनी पहचान पर गर्व करने का सावरकर युग आ रहा है। उनके अखंड भारत के सपने को पूरा करने के लिए हम सबको संकल्पबद्ध होना होगा।
कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की भी मौजूदगी रहीं।
भागवत ने सावरकर को सच्चा देशभक्त और बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी बताते हुए कहा कि उनकी भविष्यवाणी एक-एककर सही साबित हो रही है, चाहे बंटवारे के बाद पाकिस्तान से लगती सीमा पर तनाव की बात हो चीन के साथ संबंधों पर, सब सही साबित हुए हैं। वह आंख मूदकर नहीं बल्कि तर्क और बुद्धि के आधार पर किसी बात पर विश्वास करते थे।
भागवत ने एक बार फिर कहा कि देश में निवास करते सभी लोग हिंदू हैं, चाहे पूजा पद्धति और जाति, भाषा अलग-अलग क्यों न हों। बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के भेद पर चोट करते हुए उन्होंने कहा कि हम एक देश के एक मिट्टी से जन्म लिए लोग है। हम एक देश के लिए लड़ते रहे हैं। उन्होंने इस मौके पर देश के लिए संघर्ष करने वाले मुस्लिम समाज के लोगों का नाम आगे लाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सावरकर भी यहीं चाहते थे। राष्ट्रीयता की बातों में समान कर्तव्य और भागीदारी पर जोर दिया। हालांकि, यह कहते वक्त उनकी भाषा थोड़ी तल्ख होती थी, जिसे बाद में तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया। जबकि महात्मा गांधी से लेकर अंबेडकर तक उनका आदर करते थे।
संघ प्रमुख ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद वीर सावरकर को बदनाम करने मुहिम तेज चली है। संघ और सावरकर को लेकर टीका-टिप्पणी खूब हो रही है। अब अगला नंबर स्वामी विवेकानंद, दयानंद व स्वामी अरविंद का आएगा। क्योंकि भारत की वास्तविक राष्ट्रीयता का प्रथम उद्घोष इन तीनों ने ही किया था। बदनामी की यह मुहिम का लक्ष्य कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि यह राष्ट्रीयता का विचार है जो पूरी दुनिया को जोड़ने का मार्ग बताती है। अगर ऐसा हो गया और लोग जुड़ गए तो विरोध करने वाली की दुकानदारी बंद हो जाएगी। इसलिए विरोध जारी है।