अर्बन प्लानिंग में बढ़ते मौके: अब शहरों को बनाएं खूबसूरत और स्मार्ट और जमकर कमाएं पैसे
Urban Planner भारत में इस समय जहां 31 प्रतिशत लोग शहरों में निवास कर रहे हैं। वहीं 2050 तक भारत की करीब आधी आबादी शहरों में निवास करेगी। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार शहरी आबादी के मामले में भारत का दुनिया में दूसरा स्थान है।
अंशु सिंह। नौकरी और बेहतर भविष्य के लिए जैसे-जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का शहरों की ओर पलायन हो रहा है, उससे शहरों की बुनियादी सुविधाओं एवं संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। इसे देखते हुए ही भारत में स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत 100 शहरों और कस्बों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है। प्राइवेट बिल्डर्स से लेकर सरकारी एजेंसियां अर्बन और टाउन प्लानिंग के ऊपर विशेष ध्यान दे रही हैं। शहरों का कायाकल्प किया जा रहा है। इससे अर्बन प्लानिंग सेक्टर में ऐसे क्रिएटिव और इनोवेटिव आइडियाज रखने वाले युवाओं की मांग बढ़ रही है, जो भारत के भविष्य के शहरों के विकास में भागीदार बन सकें।
31 प्रतिशत लोग शहरों में रह रहे
भारत में इस समय जहां 31 प्रतिशत लोग शहरों में निवास कर रहे हैं। वहीं, 2050 तक भारत की करीब आधी आबादी शहरों में निवास करेगी। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, शहरी आबादी के मामले में भारत का दुनिया में दूसरा स्थान है। तेज रफ्तार से हो रहे शहरीकरण का देश की आर्थिक उन्नति में बहुमूल्य योगदान देखा जा रहा है। बेंगलुरु, दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद एवं पुणे जैसे विकसित शहरों की जीडीपी में अच्छी हिस्सेदारी हो रही है। वहीं, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत विकसित हो रहे नये शहरों (इंदौर, भोपाल, सूरत आदि) से भी उम्मीदें बढ़ी हैं। शहरों का कायाकल्प हो रहा है। बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक स्थलों को संवारा जा रहा है। पार्क, बाजार, स्टेशन, सड़क तैयार किए जा रहे हैं। जाहिर है, इसके लिए अर्बन प्लानिंग के विशेषज्ञों की आवश्यकता आने वाले समय में और भी बढ़ेगी।
क्या है अर्बन प्लानिंग
आआइटी रुड़की के आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर हर्षित लाकरा बताती हैं कि अर्बन प्लानिंग के तहत नये या पहले से बसे शहरों के ढांचे में बदलाव लाने की रूपरेखा तैयार की जाती है। यह एक ऐसी विधा है जिसमें कम्युनिकेशन नेटवर्क एवं ट्रांसपोर्टेशन को ध्यान में रखते हुए शहर के अर्बन एनवायरमेंट का डिजाइन तैयार किया जाता है। इस दौरान एक बात का विशेष खयाल रखा जाता है कि पूरे शहर की जमीन का सही इस्तेमाल हो और प्राकृतिक पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे यानी यह ध्यान रखा जाता है कि कौन-सी जमीन हाउसिंग के लिए उपयोगी होगी और कौन-से इलाके में मार्केट या माल आदि का निर्माण करना उचित रहेगा। कौन-से क्षेत्र आराम करने या मनोरंजन के लिए होंगे। इसी प्रकार, दफ्तर या औद्योगिक इकाइयों के लिए भी स्थान निर्धारित किया जाता है।
हर छोटी-बड़ी चीज का रखा जाता है खयाल
इसके अलावा, अर्बन प्लानर्स यह भी सुनिश्चित करते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को एक-दूसरे के कैसे जोड़ा जाएगा? यातायात संरचना, जैसे-बस स्टाप, स्टेशन, एयरपोर्ट आदि कहां होंगे? इसके अलावा, सार्वजनिक सुविधाओं (शौचालय, बगीचे, पार्क आदि) की प्लानिंग भी की जाती है। योजना बनाते समय समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के अलावा पशुओं की जरूरतों का भी ध्यान रखा जाता है। उनके रहने का इंतजाम किया जाता है। इस प्रकार अर्बन प्लानर्स भवन निर्माण से संबंधित जानकारी इकट्ठा करने, ड्राफ्टिंग, ड्राइंग, योजना बनाने, सरकारी विभागों से कोआर्डिनेट करने, वित्तीय प्रबंधन करने, तकनीकी जिम्मेदारियां संभालने जैसे विभिन्न स्तरों पर काम करते हैं।
शैक्षिक योग्यता
अर्बन प्लानिंग में करियर बनाने के लिए आर्किटेक्चर में ग्रेजुएशन के बाद अर्बन प्लानिंग या उससे संबंधित कोर्स में मास्टर कोर्स करना जरूरी है। स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर समेत कई इंस्टीट्यूट इससे संबंधिक कोर्स संचालित कर रहे हैं। इसके लिए बाकायदा प्रवेश परीक्षा होती है। वहीं, जिन्होंने सिविल इंजीनियरिंग या बीटेक किया है, वे भी अर्बन प्लानिंग में पोस्टग्रेजुएशन कर सकते हैं। इनके अलावा, ज्योग्राफी, इकोनामिक्स और सोशियोलाजी में न्यूनतम 50 प्रतिशत के साथ मास्टर्स करने वाले भी पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। मास्टर्स के बाद पीएचडी का विकल्प खुला है।
विशेषज्ञता हासिल करना रहेगा फायदेमंद
अर्बन प्लानिंग में करियर बनाने वाले स्टूडेंट्स एनवायरमेंट, ट्रांसपोर्ट, अर्बन डिजाइन, रीजेनरेशन, लैंडस्केप प्लानिंग और हेरिटेज में स्पेशलाइजेशन कर तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। चाहें तो एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोविजन आदि में विशेषज्ञता हासिल कर इकोनामिक डेवलपमेंट में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। वैसे भी अर्बन प्लानिंग के तहत आर्किटेक्चर, सिविल इंजीनियरिंग, ज्योग्राफी, ट्रांसपोर्टेशन प्लानिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्रियल एंड कामर्शियल एरिया के डेवलपमेंट का अध्ययन करना होता है। इन दिनों प्लानिंग में न्यू कांसेप्ट्स के आने से पारंपरिक की जगह काम्प्रिहेंसिव प्लानिंग ज्यादा कारगर साबित हो रही है। ऐसे में जो स्टूडेंट्स काम्प्रिहेंसिव अर्बन प्लानिंग में खुद को दक्ष बनाते हैं, उनकी मांग अधिक होती है।
बुनियादी कौशल
अर्बन प्लानर के रूप में सफलता पाने के लिए आपके पास पर्यावरण, प्रदूषण, इकोलाजी, डेमोग्राफी, लैंड इकोनामिक्स, सोशल कल्चर, सोशियोलाजी आदि की जानकारी होनी आवश्यक है। इसके अलावा, लोगों को किफायती और बजट वाले हाउसिंग विकल्प देना, ट्रांसपोर्टेशन मुहैया कराना भी इनके हाथ में ही होता है। इन सबके अलावा टीम स्पिरिट, लीडरशिप और कोआर्डिनेशन स्किल होनी चाहिए। इसके साथ ही, इस क्षेत्र में आपको अपनी स्किल को हमेशा अपडेट करते रहने होगा।
संभावनाएं
अर्बन प्लानर्स के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र में काम करने के अनेक मौके हैं। आप इंटरनेशनल कंसल्टेंसी, शहरी विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड, म्यूनिसिपल कारपोरेशन, शहरी विकास प्राधिकरण, जिला एवं ग्रामीण नियोजन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, रियल इस्टेट, एनजीओ, राज्य या केंद्र सरकार की परियोजनाओं से जुड़ कर काम कर सकते हैं। अर्बन प्लानर्स की मास्टर प्लानिंग, रीजेनरेशन और इको डेवलपमेंट में भी काफी मांग रहती है। आप अर्बन डिजाइन, ट्रांसपोर्ट, एक्सेसिबिलिटी प्लानिंग और हेल्थ सेक्टर में काम कर सकते हैं।
प्रमुख इंस्टीट्यूट्स
- -इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी, रुड़की
- https://www.iitr.ac.in/
- -स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, दिल्ली
- -http://spa.ac.in/
- -स्कूल आफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई
- https://www.annauniv.edu/
- -मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी, भोपाल
- http://www.manit.ac.in/
- -सेंटर फार एनवायरनमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलाजी, अहमदाबाद
- https://cept.ac.in/
- -इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस, बेंगलुरु
- https://iisc.ac.in/
शहरीकरण के साथ बढ़ रही कुशल युवाओं की मांग
अर्बन प्लानिंग को लेकर आज भी उतनी जागरूकता नहीं है, जितनी आर्किटेक्चर या आइटी सेक्टर को लेकर है। यही कारण है कि शहरों के साथ-साथ लोकल एरिया प्लानिंग और डेवलपमेंट के लिए प्लानर्स की देश में कमी है, जबकि हकीकत यह है एशियाई एवं अफ्रीकी देशों में शहरीकरण के विस्तार, शहरों व स्मार्ट सिटीज के तेजी से हो रहे विकास के कारण यहां युवाओं के लिए काफी अवसर हैं। अर्बन प्लानिंग में विशेषज्ञता हासिल कर युवा अपनी पसंद के अनुसार, निजी एवं सरकारी संस्थाओं के साथ कार्य कर सकते हैं। कई कंपनियां बतौर कंसल्टेंट उन्हें हायर कर रही हैं। जिन्हें रिसर्च में दिलचस्पी है, वे एकेडमिक्स क्षेत्र को एक्सप्लोर कर सकते हैं।
प्रो. हर्षित लाकरा, असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट आफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग, आइआइटी रुड़की