UPSC Result 2019: जानिए- ऑटो चालक के बेटे ने कैसे तैयारी कर पूरा किया पिता का सपना
अजहरुद्दीन ने बताया कि शुरुआती दौर में उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे। इसके बावजूद उन्होंने कभी उनकी पढ़ाई में बाधा नहीं आने दी।
नई दिल्ली [गौरव बाजपेई]। कौन कहता है आसमां में छेद हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। यूपीएससी सिविल सेवा-2019 के परीक्षा परिणाम में 315वां स्थान पाए अजहरुद्दीन काजी का संघर्ष इस लोकोक्ति को पूरी तरह से सही साबित करता है। एक समय जब उनके पिता जहीरुद्दीन ऑटो रिक्शा चलाकर उनकी पढ़ाई को पूरा करा रहे थे। तभी उन्होंने तय किया था कि वे आइपीएस बनकर परिवार और राष्ट्र की सेवा में अपना योगदान देंगे। उन्होंने अपने चौथे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में अपना स्थान सुरक्षित किया। मूलरूप से महाराष्ट्र के यवतमाल में रहने वाले अजहरुद्दीन ने अपनी स्कूली शिक्षा और स्नातक अमरावती विवि से पूरी की है। अजहरुद्दीन ने बताया कि साल 2009 में उन्होंने अमरावती विश्वविद्यालय से बीकॉम की परीक्षा उत्तीर्ण की।
इसके बाद वे जामिया हमदर्द रेजिडेंशियल कोचिंग अकादमी से ही तैयारी करके साल 2010 और 2011 में परीक्षा में बैठे, लेकिन सफल नहीं हो पाए। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्होंने बैंक की नौकरी ज्वाइन की और साल 2018 तक कार्पोरेशन बैंक में पीओ के तौर पर कार्यरत रहे। इस दौरान भी वे लगातार सिविल सेवा की तैयारी करते रहे। स्थितियां सुधरने के बाद उन्होंने साल 2018 में फिर जामिया हमदर्द रेजिडेंशियल कोचिंग अकादमी का रुख किया और तैयारी शुरू की।
अजहरुद्दीन ने बताया कि शुरुआती दौर में उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे। इसके बावजूद उन्होंने कभी उनकी पढ़ाई में बाधा नहीं आने दी। 12वीं की परीक्षा में उन्होंने जिले में पहला स्थान प्राप्त किया। इसके बाद उनका संपर्क आइपीएस अब्दुल रहमान से हुआ, जिन्हें देखकर उन्होंने तय किया कि उनका उद्देश्य आइपीएस अधिकारी बनकर समाज में सबको बराबरी का दर्जा दिलाना है।
प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले अशोक की बेटी ने पास की परीक्षा
वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से बीएससी करने वाली छात्रा ममता यादव ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 556वां स्थान प्राप्त किया। ममता के पिता अशोक यादव दिल्ली में ही एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। कालकाजी के गिरी नगर में रहने वाली ममता ने बताया कि उन्होंने साल 2018 से सिविल सेवा परीक्षा के लिए तैयारी शुरू की थी और एक साल की तैयारी में ही उन्होंने अपना अधिकारी बनने का सपना पूरा कर लिया। ममता की सफलता पर पिता अशोक यादव और उनकी मां सरोज यादव गर्व महसूस कर रहे हैं।
ममता का सपना आइएएस बनकर देश की सेवा करने का है। इसलिए वह फिर सिविल सेवा परीक्षा में हिस्सा लेंगी। हिंदू कॉलेज में पढ़ने के दौरान ही उनके शिक्षकों और सहपाठी छात्रों से उन्हें सिविल सेवा परीक्षा के बारे में पता चला और वहीं से उन्होंने सिविल सेवा में जाने का मन बनाया। अपनी सफलता के लिए वह अपने पिता और अपने शिक्षकों को श्रेय देती हैं।