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मयूर विहार में शिव की अनोखी पूजा: पहले बनती है शिवलिंग फिर पूजा के बाद मिट्टी में होते हैं तब्दील

पूरे विधि विधान से पांच प्रकार के फूल पांच तरह के फल पांच प्रकार के सूखे मेवे से इनका श्रृंगार किया जाता है। जलाभिषेक किया जाता है। ये पार्थिव शिवलिंग कहलाते हैं। भगवान राम ने वनवास के दौरान मिट्टी के शिवलिंग की ही पूजा की थी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 04 Aug 2022 04:53 PM (IST)Updated: Thu, 04 Aug 2022 04:53 PM (IST)
मयूर विहार में शिव की अनोखी पूजा: पहले बनती है शिवलिंग फिर पूजा के बाद मिट्टी में होते हैं तब्दील
हर दिन होता है 4400 शिवलिंग का जलाभिषेक।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सावन माह में मयूर विहार फेज-एक स्थित हरिधाम आश्रम में अनोखी पूजा हो रही है। यहां प्रतिदिन 4400 शिवलिंग का जलाभिषेक किया जा रहा है। ये शिवलिंग मिट्टी के बनाए जाते हैं। जलाभिषेक के बाद ये पुन: मिट्टी में तब्दील हो जाते हैं। इसके बाद अगले दिन फिर से यही प्रक्रिया अपनाई जाती है। आनंद निरवाणी पीठ के महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज की देखरेख में प्रतिदिन यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।

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सावन में स्वामी बालकानंद का चल रहा यहां प्रवास

आश्रम के अंदर शिव दुर्गा नरसिंह मंदिर है। इसके पुजारी मनीष जोशी ने बताया कि इस बार सावन में स्वामी बालकानंद का यहां प्रवास चल रहा है। इस वजह से इस बार पूरे माह में सवा लाख शिवलिंग के जलाभिषेक का लक्ष्य रखा गया है। प्रतिदिन मंदिर के सेवादार इन शिवलिंग को तैयार करते हैं। इनकी गिनती होती है। इसके बाद पूजा शुरू होती है।

पूरे विधि विधान से होती है पूजा

पूरे विधि विधान से पांच प्रकार के फूल, पांच तरह के फल, पांच प्रकार के सूखे मेवे से इनका श्रृंगार किया जाता है। जलाभिषेक किया जाता है। ये पार्थिव शिवलिंग कहलाते हैं। भगवान राम ने वनवास के दौरान मिट्टी के शिवलिंग की ही पूजा की थी।

12 अगस्त तक चलेगी पूजा

मनीष जोशी ने बताया कि यह प्रक्रिया 14 जुलाई से शुरू है और 12 अगस्त तक चलेगी। शाम को विशेष आरती का प्रबंध किया जाता है। जलाभिषेक के दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। इन्हें संबोधित करते हुए गो माता के घी से रुद्राभिषेक करने का महत्व समझाया गया। यजमान के रूप में शंभू नाथ अग्रवाल, उर्मिला अग्रवाल, विनोद धारीवाल, विला धारीवाल, विहिप के दिल्ली प्रांत के धर्माचार्य संपर्क प्रमुख दीपक गुप्ता, विजय कांत पांडेय, साध्वी मंजूश्री आदि मौजूद रहे।


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