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Delhi High Court Verdict: चाचा को मिला लाचार भतीजे की देखरेख का अधिकार, पत्नी के साथ है विवाद

Delhi High Court Verdict पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता भीम सिंह चाचा हैं और अजीत की देखरेख कर रहे हैं। कोई भी रिश्तेदार अभिभावक बनने के लिए आगे नहीं आया है। ऐसे में उन्हें केंद्रीय सचिवालय स्थित एसबीआइ के खाते की देखरेख के लिए अभिभावक नियुक्त किया जाता है।

By Jp YadavEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 09:55 AM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 09:55 AM (IST)
Delhi High Court Verdict:  चाचा को मिला लाचार भतीजे की देखरेख का अधिकार, पत्नी के साथ है विवाद
चाचा को मिला लाचार भतीजे की देखरेख का अधिकार।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। एक्यूट इस्कीमिक स्ट्रोक से ग्रस्त व बिस्तर पर पड़े वित्त मंत्रालय में लोवर डिविजनल क्लर्क अजीत कुमार सिंह की देखरेख के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने उनके चाचा को अभिभावक का अधिकार दिया है। न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि अजीत बैंक खाता संचालित करने के योग्य नहीं हैं। नोटिस के बावजूद अजीत की पत्नी पेश नहीं हुई और आपसी सहमति से तलाक की प्रक्रिया चल रही है। अजीत के बड़े बेटे ने भी याचिकाकर्ता को कानून अभिभावक बनाने पर कोई आपत्ति नहीं जाहिर की है, जबकि दूसरा बेटा अभी नाबालिग है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता भीम सिंह अजीत के चाचा हैं और उनकी देखरेख कर रहे हैं। उनके अलावा कोई भी रिश्तेदार अभिभावक बनने के लिए आगे नहीं आया है। ऐसे में भीम सिंह को अजीत के केंद्रीय सचिवालय स्थित एसबीआइ के खाते की देखरेख के लिए अभिभावक नियुक्त किया जाता है। हालांकि, पीठ ने निकासी की रकम को 30 हजार रुपये से कम करके 20 हजार प्रतिमाह किया है और यह रकम अप्रैल 2021 से निकाली जा सकेगी। पीठ ने इसके साथ ही एसबीआइ को हर तीन महीने पर कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास खाते का स्टेटमेंट पेश करने का निर्देश दिया है।

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यह है मामला

अधिवक्ता ध्रुव द्विवेदी के माध्यम से दायर याचिका में भीम सिंह ने कहा कि उनके भतीजे अजीत कुमार सिंह वर्ष 2018 से एक्यूट इस्कीमिक स्ट्रोक की बीमारी से ग्रस्त हैं और नवंबर 2020 में तबीयत और खराब होने पर उन्हें एम्स में भर्ती किया गया था। इसके बाद से अजीत बिस्तर पर हैं और वह उनकी देखरेख कर रहे हैं। उन्होंने अजीत के देखरेख के लिए 30 हजार रुपये की निकासी की अनुमति देने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। इस मामले में सहयोग करने के लिए पीठ ने अदालत मित्र बनाए गए अधिवक्ता रमेश सिंह, अधिवक्ता तारा नरुला की सराहना की। पीठ ने कहा कि अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए सभी ने अदालत को इस फैसले पर पहुंचने में मदद की।


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