नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी और कुछ दिनों पहले एक स्टिंग ऑपरेशन में फंसने की वजह से उत्तर पश्चिमी दिल्ली के सांसद डॉ. उदित राज का सियासी गणित बिगड़ गया। भाजपा ने उन्हे कोई आश्वासन भी नहीं दिया। मजबूरन उन्हें कांग्रेस का दामन थामना पड़ा। वह दावा कर रहे हैं कि उत्तर-पश्चिमी दिल्ली सीट पर भाजपा की जमानत जब्त हो जाएगी। दूसरी ओर भाजपा उनके पार्टी छोड़ने से बेपरवाह सूफी गायक हंसराज हंस को जीत दिलाने में जुट गई है।
पिछले चुनाव से पहले संघ के कई नेताओं ने उदित राज को भाजपा में शामिल करने की वकालत की थी, लेकिन वक्त के साथ वे उनके खिलाफ होते गए। बताते हैं कि पार्टी लाइन से अलग हटकर उनके बयान की वजह से संघ और भाजपा के कई बड़े नेता उनसे नाराज थे। जेएनयू में देश विरोधी नारा लगाने को लेकर शुरू हुए विवाद में भी उदित राज शुरुआत में पार्टी के नेताओं से उलट बयानबाजी करते रहे थे। इसी तरह से अनुसूचित जाति व जनजाति कानून और सवर्ण आरक्षण, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश सहित कई मुद्दों पर उनके बयान से पार्टी असहज होती रही है।
इसके साथ ही उनपर यह भी आरोप लगता रहा है कि उनका ध्यान भाजपा से ज्यादा अनुसूचित जाति व जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ को मजबूत करने में है। वह परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और रामलीला मैदान में इसकी कई रैलियां कर चुके हैं। इसे लेकर उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के कार्यकर्ता कई बार पार्टी नेतृत्व से शिकायत भी कर चुके थे।
वहीं, पिछले दिनों एक निजी चैनल में आए उनके स्टिंग से पार्टी में उनकी स्थिति और ज्यादा खराब हो गई। इसमें उन्हें यह कहते हुए दिखाया गया था कि करोड़ों रुपये बांटने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने चुनाव में उनके लिए काम किया था। उसके बाद से ही उनके टिकट कटने के कयास लगने लगे थे।
उत्तर पश्चिमी दिल्ली के टिकट की घोषणा में हो रही देरी के बाद उन्होंने जिस तरह से खुलकर मीडिया में नाराजगी जताई और भाजपा नेताओं को मोबाइल से संदेश भेजकर पार्टी छोड़ने की धमकी देनी शुरू की, उसके बाद बीच बचाव की गुंजाइश भी पूरी तरह से खत्म हो गई थी। यही कारण है कि बार-बार मीडिया के सामने व सोशल मीडिया में चेतावनी देने के बावजूद भाजपा के बड़े नेताओं ने उनकी बात का कोई संज्ञान नहीं लिया और आखिरकार उन्हें पार्टी से विदाई लेनी पड़ी।
प्रवीण शंकर कपूर (दिल्ली प्रदेश भाजपा प्रवक्ता) के मुताबिक, प्रत्येक कार्यकर्ता पार्टी के लिए महत्वपूर्ण होता है। किसी के जाने से क्षणिक हानि होती है। डॉ. उदित राज अपनी मर्जी से भाजपा में आए थे और अपनी इच्छा से चले गए। उन्हें यह समझना चाहिए उनके भाजपा में आने के पहले भी सबसे ज्यादा दलित सांसद व विधायक पार्टी के पास थे। पार्टी सभी के हित में काम करती है।
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