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बिचौलियों ने किया परेशान तो दो दोस्तों ने शुरू कर दिया खुद का स्टार्टअप, करोड़ों में है टर्न ओवर

किराए के कमरे की तलाश में सौरभ और अमित को भी अन्य छात्रों और नौकरीपेशा युवाओं की तरह बिचौलियों (ब्रोकर) के चक्कर लगाने पड़े थे।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 09:01 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 09:12 PM (IST)
बिचौलियों ने किया परेशान तो दो दोस्तों ने शुरू कर दिया खुद का स्टार्टअप, करोड़ों में है टर्न ओवर

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। दो आइआइटीयंस मेरठ के सौरभ गर्ग और हापुड़ के अमित अग्रवाल का बिजनेस आइडिया कम समय में ही 850 करोड़ रुपये का बड़ा निवेश जुटा चुका है। इनका स्टार्टअप 'नो ब्रोकर' महानगरों में उन लोगों के लिए मददगार बना है, जो किराए का कमरा, मकान, दुकान, ऑफिस के लिए बिचौलियों के चक्कर काट कर थक जाते हैं। उन्हें यह सरल, सुरक्षित और बड़ा प्लेटफार्म उपलब्ध करा रहा है। सबसे बड़ी बात, बिना कमीशन लिए।

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किराए के कमरे की तलाश में सौरभ और अमित को भी अन्य छात्रों और नौकरीपेशा युवाओं की तरह बिचौलियों (ब्रोकर) के चक्कर लगाने पड़े थे। कमीशन पर भी भारी भरकम खर्च करना पड़ता था। सौरभ बताते हैं, तब हमने सोचा कि क्यों न इसी विषय में बिजनेस की संभावना खोजी जाए। कुछ ऐसा किया जाए कि महानगरों में पहुंचे बाहरी छात्रों और नौकरीपेशा लोगों को किराए के कमरे की तलाश में बिचौलियों के चक्कर में न पड़ना पड़े।

अमित ने बताया कहां से मिला बिजनेस फार्मूला 

अमित कहते हैं, महानगरों में रेंट और प्रॉपर्टी एजेंट्स की भरमार है, लेकिन इनमें से अनेक इस विधा के आदर्श तौर-तरीकों को अमल में नहीं लाते हैं। कमीशन भी इतना, कि जेब ढीली हो जाए। वहीं, रेंट एग्रीमेंट, सेल डीड, रजिस्ट्री आदि के लिए भी भटकना पड़ता है। इसका भी भारी चार्ज वसूलते हैं। लिहाजा, हमने सर्वे किया। पाया कि महानगरों में इस काम का बहुत बड़ा बाजार है, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा सुव्यवस्थित नहीं है। यहां से हमें अपना बिजनेस फार्मूला मिल गया।

कैसे हुई दोनों की दोस्ती

सौरभ मेरठ, उप्र से हैं और आइआइटी मुंबई से पढ़ाई की है। जबकि अमित अग्रवाल भी उप्र के हापुड़ से हैं और आइआइटी कानपुर से उन्होंने पढ़ाई की है। इनके साथ ही एक अन्य दोस्त निखिल भी जुड़े। आइआइटी के बाद सौरभ, अमित और निखिल आइआइएम अहमदाबाद में मैनेजमेंट की पढ़ाई के दौरान मिले और दोस्त बने।

इसके बाद नौकरी के सिलसिले में अलग-अलग जब एक शहर से दूसरे शहर गए तो किराए के कमरे की तलाश में वही परेशानी रही। आखिरकार, जमा किए कुछ पैसों से तीनों ने मिलकर वर्ष 2014 में अपना यह स्टार्टअप शुरू किया। बेंगलुरु प्रयोग स्थल बना। यहां से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद मुंबई, चेन्नई और पुणे तक विस्तार किया। अब दिल्ली-एनसीआर में भी उन्हें अच्छा अनुभव हो रहा है।

स्टार्टअप ने खत्म किया बिचौलियों की जरूरत

अमित अग्रवाल बताते हैं कि उनके स्टार्टअप नोब्रोकर.कॉम ने बिचौलियों की जरूरत को खत्म कर दिया है। एपबेस्ड इस प्लेटफार्म पर या तो किराया पर कमरा देने वाले मकान मालिक हैं या कमरे की तलाश करने वाले लोग। दोनों से कोई कमीशन नहीं लिया जाता है, लिहाजा यूजर्स की संख्या हजारों पहुंच गई है। उपयोगकर्ताओं की यही विशाल संख्या इन्हें बड़ा बिजनेस दिलाती है। अमित ने बताया, हम दोनों ओर से कोई कमीशन नहीं लेते हैं, लेकिन रेंट एग्रीमेंट, सेल डीड, रजिस्ट्री और लोन दिलाने जैसे सहायक कामों के जरिये हमें इन सेवाओं को उपलब्ध कराने वाली कंपनियों, बैंक, लॉ फर्म जैसे सेवाप्रदाताओं से थोक बिजनेस देने के बदले मोटा कमीशन मिल जाता है।

इन दोस्तों ने बताया कि इनके स्टार्टअप को अब तक विदेशी कंपनियों से 850 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश प्राप्त हो चुका है। स्टार्टअप को मिल रहे बिजनेस और मुनाफे को देखते हुए अन्य बड़ी कंपनियां भी निवेश के लिए रुचि दिखा रही हैं। छह बड़े शहरों में सफलता के बाद अब अब एनसीआर के शहरों गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद सहित बी-ग्रेड के अन्य शहरों से भी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।

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