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Twitter Toolkit Case : पीटर फ्रेडरिक ने किया खुलासा, खालिस्तानी आतंकी के साथ स्वीकारा संबंध

Twitter Toolkit Case पीटर ने न्यूज चैनल को ट्वीट के जरिये भेजे जवाब में कहा है कि टूलकिट मामले को पुलिस विशाल अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र बताने की कोशिश कर रही है। देश की सुरक्षा एजेंसियां उसकी तलाश में वर्ष 2006 से लगी हुई हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 16 Feb 2021 09:42 PM (IST)Updated: Tue, 16 Feb 2021 09:52 PM (IST)
Twitter Toolkit Case : पीटर फ्रेडरिक ने किया खुलासा, खालिस्तानी आतंकी के साथ स्वीकारा संबंध
एक हिंदी न्यूज चैनल को ट्विटर के माध्यम से भेजा पत्र

नई दिल्ली, राकेश कुमार सिंह। कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान उपद्रव फैलाने को लेकर रची गई साजिश जिस टूलकिट के रूप में सामने आई है, उस टूलकिट के रिसोर्स पर्सन बताए जा रहे पीटर फ्रेडरिक ने एक न्यूज चैनल को ट्वीट के माध्यम से पत्र भेजकर खालिस्तानी आतंकी भजन सिंह भिंडर से संबंध होना स्वीकार किया है। हालांकि, टूलकिट मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए उसने यह भी दावा किया है कि खालिस्तान आंदोलन में उसकी कोई भागीदारी नहीं है।

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भिंडर के साथ सह-लेखक के तौर पर लिखी हैं दो किताबें

दिल्ली पुलिस सूत्रों के अनुसार, पीटर मो. धालीवाल के खालिस्तान समर्थक संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीजेएफ) से जुड़ा हुआ है और भिंडर का करीबी है। उसने ही तय किया था कि टूलकिट में हैशटैग क्या होगा, किसे फॉलो करना है और कब क्या ट्वीट करना है। देश की सुरक्षा एजेंसियां उसकी तलाश में वर्ष 2006 से लगी हुई हैं।

इन आरोपों पर पीटर ने न्यूज चैनल को ट्वीट के जरिये भेजे जवाब में कहा है कि टूलकिट मामले को पुलिस विशाल अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र बताने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और पुलिस के खिलाफ जहर उगलते हुए उसने कहा है कि भिंडर उसके उन कई दक्षिण एशियाई मूल के दोस्तों में से एक है, जो उसने वर्षों से बनाए हैं। उसने भिंडर के साथ दो पुस्तकों का सह-लेखन भी किया है। इनमें सिख, हिंदू, मुस्लिम और सभी पृष्ठभूमि के लोग शामिल हैं।

भिंडर के साथ उसकी मित्रता भारत में मानवाधिकारों को दबाने के शांतिपूर्ण समाधान और मानवता की समानता व स्वतंत्रता के लिए काम करने के आपसी जुनून पर केंद्रित है। पत्र में उसने कहा है कि मुझे निशाना बनाया जा रहा है। टूलकिट की योजना बनाना एक सम्मान की बात होगी, फिर भी मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं था।


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