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वनस्पति तेल में वसा व ट्रांस फैट की मात्रा होगी कम, घातक बीमारियों से होगा बचाव

वनस्पति तेलों में वसा व ट्रांस फैट की मात्रा पांच फीसद से कम कर दो फीसद तक सीमिति की जाएगी। वर्ष 2022 तक चरणबद्ध तरीके से इस पर अमल किया जाएगा और अधिसूचना जारी की जाएगी।

By Edited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 07:55 PM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 08:52 PM (IST)
वनस्पति तेल में वसा व ट्रांस फैट की मात्रा होगी कम, घातक बीमारियों से होगा बचाव
वनस्पति तेल में वसा व ट्रांस फैट की मात्रा होगी कम, घातक बीमारियों से होगा बचाव

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहे वनस्पति तेलों की गुणवत्ता में सुधार के लिए भारतीय खाद्य संरक्षा व मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत वनस्पति तेलों में वसा व ट्रांस फैट की मात्रा पांच फीसद से कम कर दो फीसद तक सीमिति की जाएगी। वर्ष 2022 तक चरणबद्ध तरीके से इस पर अमल किया जाएगा और अधिसूचना जारी की जाएगी।

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ट्रांस फैट है बड़ा कारण 

प्राधिकरण ने इस बाबत हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया को जानकारी दी है। फाउंडेशन ने स्वास्थ्य की दृष्टि से इसे अहम फैसला बताया है। फाउंडेशन का कहना है कि मोटापा, मधुमेह, ब्लड प्रेशर व हृदय की बीमारियां बढ़ने का बड़ा कारण ट्रांस फैट भी है। इसलिए उस पर अंकुश लगाना जरूरी है।

ट्रांस फैट के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग

फाउंडेशन ने 21 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री व केंद्रीय कानून मंत्री को पत्र लिखकर वनस्पति तेलों में मौजूद ट्रांस फैट को प्रतिबंधित करने की मांग की थी। पत्र में कहा गया था कि हाल ही में अमेरिका के एफडीए (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) ने रेस्तरां, कैफे, होटलों में इस्तेमाल होने वाले खाद्य वस्तुओं व किराने की दुकानों पर बिकने वाले खाद्य वस्तुओं में कृत्रिम ट्रांस फैट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है ताकि गैर संचारी बीमारियों की रोकथाम हो सके। फाउंडेशन ने अमेरिका की तर्ज पर यहां भी कृत्रिम ट्रांस फैट के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी।

ट्रांस फैट जंक फूड की तरह है

फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि वनस्पति तेल में हाइड्रोजन मिलाया जाता है ताकि उसे अधिक दिनों को सुरक्षित रखा जा सके। रेस्तरा व ज्यादातर होटलों में इस तरह के वनस्पति तेल ही इस्तेमाल किए जाते हैं। वहां उसे बार-बार गर्म किया जाता है। उन्होंने कहा कि ट्रांस फैट जंक फूड की तरह है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसके दुष्प्रभाव से शरीर में खराब कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ती और अच्छे कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम होती है। हाल ही में हुए कई अध्ययनों में भी यह बात सामने आई है कि रिफाइन तेल में भी ट्रांस फैट अधिक होता है। इसलिए डॉक्टर ट्रांस फैट युक्त तेल से बचने की सलाह देते हैं।

ट्रांस फैट व वसा की मात्रा सीमिति करने की प्रक्रिया शुरू

फाउंडेशन का कहना है कि एफएसएसएआइ ने एक अगस्त को पत्र भेजकर जवाब दिया है कि कुछ वनस्पति तेलों में ट्रांस फैट की मात्रा पांच फीसद तक सुनिश्चित की गई है। इनमें ट्रांस फैट व वसा की मात्रा दो फीसद तक सीमिति करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।


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