ट्रेन ही नहीं अब इंजन से भी कमाई करेगा रेलवे, शुरू की 'ब्रांडिंग ऑन व्हील्स' योजना
ट्रेन और मालगाड़ी को खींचने वाले इंजन अब रेलवे की कमाई का भी जरिया बनेगा। इसके लिए रेल इंजनों को रंगबिरंगे विज्ञापन से रंगने की तैयारी है।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह] ट्रेन और मालगाड़ी को खींचने वाले इंजन अब रेलवे की कमाई का भी जरिया बनेगा। इसके लिए रेल इंजनों को रंगबिरंगे विज्ञापन से रंगने की तैयारी है। इससे जहां कंपनियों का प्रचार होगा, वहीं रेलवे को अच्छी खासी आमदनी होगी। इस योजना को अमल में लाने के लिए रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे को दिशानिर्देश भी जारी कर दिया है। उम्मीद है कि जल्द ही पटरी पर आकर्षक विज्ञापनों वाले इंजन दिखने लगेंगे।
अधिकारियों का कहना है कि यात्री ट्रेन से रेलवे को मुनाफा नहीं होता है क्योंकि प्रत्येक टिकट पर भारी भरकम सब्सिडी दी जाती है। यात्री से टिकट की वास्तविक लागत का लगभग 53 फीसद ही वसूला जाता है और शेष 47 फीसद राशि का वहन रेलवे करता है। इस कारण रेलवे का वित्तीय बोझ बढ़ रहा है, जिसे कम करने के लिए गैर किराया राजस्व बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है।
विज्ञापन आमदनी बढ़ाने का अच्छा जरिया
रेलवे स्टेशनों व रेल परिसरों के आसपास खाली पड़ी जमीन के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। विज्ञापन भी आमदनी बढ़ाने का अच्छा जरिया है और इस दिशा में प्रयास भी किए जा रहे हैं। रेलवे स्टेशनों पर कंपनियों के प्रचार वाले छोटे-बड़े होर्डिंग व पेंटिंग देखने को मिल जाते हैं। इसके साथ ही ट्रेन के कोच में विज्ञापन भी अब आम बात है। कई लोकल ट्रेनों से लेकर लंबी दूरी की ट्रेनों के कोच के बाहरी हिस्सों का उपयोग कंपनियां अपने प्रचार के लिए करती हैं। कोई भी कंपनी तय शुल्क देकर ट्रेन कोच का उपयोग प्रचार के लिए कर सकती है।
रेलवे ने शुरू की 'ब्रांडिंग ऑन व्हील्स' योजना
विज्ञापन से कमाई बढ़ाने के लिए रेलवे ने 'ब्रांडिंग ऑन व्हील्स' योजना शुरू की है जिसके तहत मालगाड़ियों के बाहरी हिस्से पर विज्ञापन लगाए जाएंगे। इसके साथ ही रेल इंजन पर भी कंपनियां प्रचार कर सकेंगी। रेलवे बोर्ड की ओर से जारी दिशानिर्देश के अनुसार, विज्ञापन इस तरह से किया जाएगा जिससे कि इंजन पर दिखने वाले जरूरी संकेत जैसे कि उसका नंबर, लोको शेड का नाम, लोगो व अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देखने में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं हो। इसके साथ ही संबंधित जोनल रेलवे विज्ञापन की पेंटिंग को लेकर अंतिम निर्णय लेगा। उपयोग किए जाने वाले पेंट की गुणवत्ता की भी जांच होगी।
अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के प्रयास रेलवे के वित्तीय बोझ को कम करने में मदद मिलेगी। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान रेलवे ने गैर किराया-भाड़ा से 204.10 करोड़ रुपये और 2018-19 के दौरान 223.53 करोड़ रुपये की कमाई की है।