जीएसटी को लेकर आंदोलन की राह पर दिल्ली के व्यापारी, 25 फरवरी को बुलाई महापंचायत
महापंचायत में कश्मीरी गेट मोरी गेट चांदनी चौक भागीरथ प्लेस लाजपत राय मार्केट खारी बावली चावड़ी बाजार नया बाजार सदर बाजार करोलबाग कनाट प्लेस लाजपतनगर सरोजिनी नगर खान मार्केट गांधी नगर व कमला नगर समेत अन्य बाजारों के पदाधिकारी शामिल होंगे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन को लेकर दिल्ली के व्यापारी आंदोलन की राह पर हैं। इसे लेकर चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) ने 25 फरवरी को व्यापारियों की महापंचायत बुलाई है। यह पंचायत वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये होगी। इसमें 200 से अधिक बाजारों के कारोबारी संगठनों के पदाधिकारी शामिल होंगे। इस महापंचायत में ही कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की ओर से 26 फरवरी को बुलाए गए 'भारत व्यापार बंद' में दिल्ली के व्यापारियों के शामिल होने को लेकर भी निर्णय किया जाएगा। महापंचायत में कश्मीरी गेट, मोरी गेट, चांदनी चौक, भागीरथ प्लेस, लाजपत राय मार्केट, खारी बावली, चावड़ी बाजार, नया बाजार, सदर बाजार, करोलबाग, कनाट प्लेस, लाजपतनगर, सरोजिनी नगर, खान मार्केट, गांधी नगर व कमला नगर समेत अन्य बाजारों के पदाधिकारी शामिल होंगे।
सीटीआइ के चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया कि जीएसटी के मौजूदा स्वरूप ने कारोबारियों की बेचैनी बढ़ा दी है। इसमें कई नए नियम आ रहे हैं, जो व्यापारियों की दृष्टि से काफी मुश्किलें पैदा करने वाले हैं। जीएसटी रिटर्न्स सरल और स्पष्ट नहीं हैं। यह किसी भी कर व्यवस्था की रीढ़ होती है। वैट की तरह जीएसटी भी इनपुट और आउटपुट पर चलती है। फिर क्यों इसकी रिटर्न मल्टीपल और जटिल हैं, जबकि वैट की रिटर्न्स सिंगल भी थी और सरल भी थी। कर क्रेडिट के रास्ते में कई रुकावट डाली गई है। इनमें 180 दिन में भुगतान, आपूर्तिकर्ता पर जीएसटीआर-वन वक्त पर फाइल करवाएं का दबाव व आपूर्तिकर्ता पर यह भी नजर बनाए रखना है कि उसने पूरा कर जमा कराया कि नहीं। उसके पास जाली बिल तो नहीं है। इन्हीं सब मुद्दों का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा गया है तथा उनसे मिलने का समय मांगा गया है।
सीटीआइ के अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि बगैर नोटिस और पूछताछ के अधिकारी को रजिस्ट्रेशन निलंबित करने का अधिकार दो महीने पहले दिया गया है, जिससे पूरा व्यापारी समाज भयभीत है। रिवाइज्ड रिटर्न को लागू नहीं किया जा रहा है। सरकार गलतियों को ठीक करने का अवसर न देकर सिर्फ जुर्माना, लिटिगेशन और परेशानी देना चाहती है।
सीटीआइ के महासचिव विष्णु भार्गव व रमेश आहूजा ने कहा कि 'भारत व्यापार बंद' पर सीटीआइ ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। इस संदर्भ में सभी व्यापारिक संस्थाओं से सलाह-मशविरा कर बहुमत के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।