Toolkit Matter: ग्रेटा थनबर्ग की गलती से हुआ साजिश का भंडाफोड़
Toolkit Matter स्वीडन की कथित पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने गलती से टूलकिट को ट्वीट के साथ साझा कर सार्वजनिक कर दिया। इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि खराब करने की साजिश का भंडाफोड़ हो गया।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। Toolkit Matter: टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा कि यह एक ऐसा दस्तावेज था जिसे चुनिंदा लोगों को ही दिया जाना था, लेकिन स्वीडन की कथित पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने गलती से टूलकिट को ट्वीट के साथ साझा कर सार्वजनिक कर दिया। इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि खराब करने की साजिश का भंडाफोड़ हो गया। दिल्ली पुलिस का यह भी कहना है कि टूलकिट मामले में मो धालीवाल के बाद पीटर फ्रेडरिक भी अहम कड़ी है। पीटर ने ही तय किया था कि ट्वीट में हैशटैग क्या होगा, किसे फॉलो करना है और कब क्या ट्वीट करना है। 2005 से पीटर भारत के सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। टूलकिट की प्रारंभिक जांच से पता चला कि इसे खालिस्तानी समर्थक समूह से जुड़े लोगों ने बनाया था।
टूलकिट में बनाई गई कार्ययोजना के मुताबिक ही 26 जनवरी को दिल्ली में उपद्रव की घटनाओं को अंजाम दिया गया। वहीं, पुनीत नाम की महिला ने दिशा रवि, निकिता जैकब व शांतनु आदि को खालिस्तान समर्थक पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जोड़ा था। 11 जनवरी को जूम एप पर हुई बैठक में तय की गई कार्रवाई के आधार पर निकिता, शांतनु, दिशा व अन्य ने टूलकिट बनाई जिसे ग्लोबल फार्मर स्ट्राइक और ग्लोबल डे ऑफ एक्शन 26 जनवरी के शीर्षक से गूगल डॉक्स पर तैयार किया गया। टूलकिट में अलगाववादी व खालिस्तान से जुड़ी सामग्री और लिंक थे।
बता दें कि गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी के दिन किसान ट्रैक्टर परेड निकालने के दौरान दिल्ली में व्यापक हिंसा हुई थी। इस मामले में 100 से अधिक लोग गिरफ्तार हुए हैं, तो दर्जनभर लोग लापता है। 26 जनवरी को उपद्रवी किसानों ने लाल किला पर जमकर हिंसा की थी। इस दौरान जुगराज सिंह नामक युवक ने लाल किले की प्राचीर पर तिरंगे के बगल में अन्य झंडा लगा दिया था।