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ये है रिश्‍वतकांड की Inside Story, ट्रैप में लगे थे तीन आइपीएस

कॉल सेंटर संचालक से उगाही की कोशिश की कहानी प्राथमिक जांच में सच साबित होने पर जिले में तैनात तीन आईपीएस अधिकारियों ने मिलकर ऑपरेशन ट्रैप शुरू की।

By Edited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 09:34 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 08:12 AM (IST)
ये है रिश्‍वतकांड की Inside Story, ट्रैप में लगे थे तीन आइपीएस
ये है रिश्‍वतकांड की Inside Story, ट्रैप में लगे थे तीन आइपीएस

नोएडा, जेएनएन। कॉल सेंटर संचालक से उगाही की कोशिश की कहानी प्राथमिक जांच में सच साबित होने पर जिले में तैनात तीन आइपीएस अधिकारियों ने मिलकर ऑपरेशन ट्रैप शुरू किया। मंगलवार दिन में 11 बजे से शुरू हुआ ऑपरेशन करीब 15 घंटे तक चला। देर रात करीब दो बजे ऑपरेशन पूरा हुआ। इस ऑपरेशन को अंजाम देने में नगर पुलिस अधीक्षक ने भी सराहनीय भूमिका निभाई।

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एसएसपी वैभव कृष्ण (आइपीएस) ने बताया कि ऑपरेशन ट्रैप के लिए दो टीमें गठित की गई थीं। पहली टीम एसपी देहात विनीत जायसवाल (आइपीएस) की देखरेख में थी। इसका नेतृत्व सहायक पुलिस अधीक्षक डॉ कौस्तुभ (आइपीएस) कर रहे थे। वहीं एसपी सिटी सुधा सिंह व क्षेत्राधिकारी ग्रेटर नोएडा तृतीय ने दूसरी टीम का नेतृत्व किया।

ट्रैप प्लान में किसी कोतवाली में तैनात पुलिसकर्मी को शामिल नहीं करते हुए बल्कि पुलिस कार्यालय व विभिन्न शाखा में तैनात चार इंस्पेक्टर व अन्य पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया था। टीम में शामिल सभी पुलिसकर्मियों के मोबाइल स्विच ऑफ कराकर रखवा लिए गए थे।

इसके बाद ट्रैप प्लान को लेकर शिकायत करने वाले कॉल सेंटर संचालक को भी तैयार किया गया। ऑपरेशन ट्रैप की रूपरेखा तैयार होने के बाद शिकायतकर्ता कॉलसेंटर संचालक पुष्पेन्द्र ने इंस्पेक्टर मनोज पंत से बातचीत करना शुरू किया। एसएसपी ने बताया कि काफी देर तक हुई बातचीत व मोलभाव होने के बाद आठ लाख रुपये में डील फाइनल होने पर उसे कोतवाली सेक्टर 20 प्रभारी इंस्पेक्टर के कमरे में बुलाया गया।

इसके बाद टीम ने रिश्वत के रूप में दी जाने वाली रकम में केमिकल लगा बैग में रखा और फिर कॉल सेंटर संचालक देर रात रुपये लेकर कोतवाली पहुंचा और गिरफ्तारी हुई। एफआइआर के अनुसार शिकायतकर्ता के हाथ धोवन व पकड़े गए व्यक्तियों के हाथ के धोवन को अलग-अलग जार में लिया गया तो फिनोफ्थलीन पाउडर का घोल गुलाबी हो गया।

 एसएसपी ने बताया कि ऑपरेशन ट्रैप को पूरे प्रोफेशनल तरीके से अंजाम दिया गया। विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए जिलाधिकारी से बातचीत की गई और उनसे अनुरोध कर दो विभाग के दो कर्मचारियों को भी नामित कर टीम में स्वतंत्र साक्षी के रूप में रखा गया।

देर रात कॉल सेंटर संचालक से एसएचओ द्वारा रुपये लेने के बाद उनके साथ गए एक स्वतंत्र साक्षी ने ही एएसपी को हाथ उठाकर संकेत दिया और फिर एएसपी सहित ऑपरेशन से जुड़े अन्य अफसर एसएचओ के कमरे में पहुंचे और फिर मौके से एसएचओ समेत चार लोगों की गिरफ्तारी हुई जबकि एक व्यक्ति वहां से भाग निकला। एसएसपी के अनुसार इस पूरे ऑपरेशन की जानकारी ऑपरेशन को अंजाम देने चंद समय पहले तक कुछ सीनियर अफसरों को ही केवल थी।

एएसपी डॉ कौस्तुभ की शिकायत पर दर्ज हुई है एफआइआर
रंगे हाथ मौके से पकड़े गए इंस्पेक्टर व तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी के मामले में सहायक पुलिस अधीक्षक डॉ कौस्तुभ ने एफआइआर दर्ज कराई है। शिकायत के अनुसार उन्हें दिन में एसएसपी ने कैंप ऑफिस सेक्टर 27 पर बुलाया और कॉल सेंटर मालिक की शिकायत व प्राथमिक जांच के बारे में बताया गया। इसके बाद उन्हें विधिवत कार्रवाई के बारे में कहा और फिर इसके बाद पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।

पहले बुलाया था सेक्टर 27 के एक होटल में
एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि कॉल सेंटर संचालक को पैसे लेकर पहले सेक्टर 27 स्थित होटल फॉरच्यून में बुलाया गया था। इसके बाद फिर सेक्टर 3 में और फिर वहीं पार्किंग में और फिर अंत में देर रात कोतवाली में प्रभारी के कमरे में बुलाया गया।

चार घंटे में रिश्वत में देने वाले रुपयों में लगाया गया केमिकल
एसएसपी ने बताया कि रिश्वत के रूप में दिए जाने वाले आठ लाख रुपयों के सभी नोटों के पहले नंबर नोट किये गए। इसके बाद फिर उसमें केमिकल वाला पाउडर लगाया गया। यह प्रक्रिया पूरी करने में ही करीब चार घंटे लगे।

शिकायतकर्ता व एक स्वतंत्र साक्षी रुपये लेकर पहुंचे थे कोतवाली
पुलिस ने अपने ऑपरेशन ट्रैप में तय किया था कि शिकायतकर्ता व एक स्वतंत्र साक्षी रुपये लेकर जाएंगे। इस दौरान स्वतंत्र साक्षी का परिचय शिकायतकर्ता अपने परिचित के रूप में बताएंगे। निर्धारित समय पर शिकायतकर्ता व स्वतंत्र साक्षी कोतवाली पहुंचे तो गेट पर उदित गोयल मिला। जिसके साथ दोनों अंदर चले गए।

इसके बाद 10 मिनट बाद ही पूर्व निर्धारित बातचीत के अनुसार स्वतंत्र साक्षी बाहर निकल कर आए और हाथ उठाकर इशारा किया। इसके बाद गेट के पास मौजूद एएसपी, टीम के अन्य सदस्य व एक अन्य स्वतंत्र साक्षी अंदर पहुंचे। इस दौरान कोतवाल मनोज पंत अपनी कुर्सी पर बैठे मिले। जबकि एक व्यक्ति वहां से भाग निकला।


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