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Delhi Crime: 10 करोड़ रुपये की धोधाधड़ी में कंपनी के तीन पूर्व निदेशक गिरफ्तार

पुलिस छानबीन में पता चला कि प्रमोद गोयल कृष्ण चंद बंसल और अनिल गुप्ता इंदिरापुरम हैबिटेट सेंटर प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक थे। तफ्तीश में शिकायकर्ता कंपनी की बातें सही साबित हुईं। यह भी पता चला कि कंपनी ने लोन की राशि का गलत इस्तेमाल किया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 07:00 AM (IST)
धोखाधड़ी में कंपनी के तीन पूर्व निदेशक को गिरफ्तार।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (इओडब्ल्यू) ने 10 करोड़ रुपये की धोधाधड़ी में इंदिरापुरम हैबिटेट सेंटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तीन पूर्व निदेशक को गिरफ्तार किया है। उनकी पहचान प्रमोद गोयल, कृष्ण चंद बंसल और अनिल गुप्ता के रूप में हुई है। आरोपितों ने एक कंपनी से इंदिरापुरम हैबिटेट सेंटर गाजियाबाद प्रोजेक्ट के नाम पर 10 करोड़ रुपये का लोन लिया था। लोन की राशि दो वर्ष में लौटानी थी। लेकिन आरोपितों ने लोन के रुपये हड़प लिए। आरोपितों के खिलाफ दिल्ली में चार मुकदमे दर्ज हैं।

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इओडब्ल्यू के ज्वाइंट कमिश्नर डॉ. ओपी मिश्रा ने बताया कि ठगी के संबंध में मनीवाइज फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से शिकायत दी गई थी। शिकायत के मुताबिक 2016 में कंपनी ने इंदिरापुरम हैबिटेट सेंटर प्राइवेट लिमिटेड को गाजियाबाद इंदिरापुरम प्रोजेक्ट के लिए दो वर्ष की अवधि के लिए 10 करोड़ रुपये का लोन दिया था। लोन लेते वक्त आरोपितों ने कंपनी को गिरवी के रूप में प्रोजेक्ट की 23 दुकाने भी दी थी। इस संबंध में शिकायतकर्ता कंपनी के पक्ष में कब्जे का पत्र भी जारी कर दिया गया था। लेकिन बाद में इंदिरापुरम हैबिटेट सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने लोन की राशि नहीं चुकाई। यही नहीं गिरवी 23 दुकानों को भी अन्य को बेच दिया गया था।

पुलिस छानबीन में पता चला कि प्रमोद गोयल, कृष्ण चंद बंसल और अनिल गुप्ता इंदिरापुरम हैबिटेट सेंटर प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक थे। तफ्तीश में शिकायकर्ता कंपनी की बातें सही साबित हुईं। यह भी पता चला कि कंपनी ने लोन की राशि का गलत इस्तेमाल किया। इंदिरापुरम हैबिटेट सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने मनीवाइज फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को निवेश पर सुनिश्चित रुपये लौटाने की भी पेशकश की थी। लेकिन वादे के अनुसार कोई भी रिटर्न नहीं दिया गया था। आरोपित कंपनी ने न केवल शिकायतकर्ता कंपनी से फर्जीवाड़ा किया बल्कि निवेशकों को भी धोखा दिया। जिसके बाद पुलिस ने आरोपित निदेशकों को गिरफ्तार कर लिया। मामले की आगे की छानबीन की जा रही है।

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