Delhi Coronavirus News Update: कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उदाहरण बना दिल्ली का यह गांव
दीवाली के अगले दिन जब दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक ने अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी थी उस दिन नजफगढ़ में प्रदूषण स्तर काफी कम था। यहीं कारण है कि प्रशासन व ग्रामीणों का मिलेजुला सहयोग कोरोना पर भारी पड़ता नजर आ रहा है।
नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। दक्षिण-पश्चिमी जिला का गांव बहुल इलाका नजफगढ़ सब-डिविजन इन दिनों चर्चा में है। चर्चा का कारण जिला प्रशासन व ग्रामीणों के बीच का वह सहयोग है जिसके कारण करीब तीन दर्जन गांव व दर्जनों शहरीकृत कॉलोनियाें में फैले इस सब-डिविजन में कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की तादाद का महज 400 होना है। क्षेत्र में रोजाना करीब 20 से 25 मामले अभी सामने आ रहे हैं। अन्य इलाकों की तुलना में यहां इतनी कम तादाद का होना इन दिनों दिल्ली के अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय है। सब-डिवीजन के अधिकारी इस कामयाबी के लिए जमकर वाह-वाही बटौर रहा है। इसके अलावा दीवाली के अगले दिन जब दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक ने अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी थी, उस दिन नजफगढ़ में दिल्ली के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले प्रदूषण स्तर काफी कम था। यहीं कारण है कि प्रशासन व ग्रामीणों का मिलेजुला सहयोग कोरोना पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए दिल्ली में आयोजित किए गए सर्वे में नजफगढ़ सब-डिवीजन को शामिल नहीं किया गया है।
विशेषज्ञों की मानें तो ग्रामीणों की प्रतिरोधक क्षमता व गांव का खुला वातावरण इसका प्रमुख कारण है। वहीं प्रशासन की तरफ से लगातार चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम, बड़े पैमाने पर कोरोना जांच व कंटेनमेंट जोन बनाकर कोरोना संक्रमण के प्रबंधन को लेकर उठाए गए कदम भी संक्रमण के प्रसार पर रोकथाम के लिए जिम्मेदार कारक साबित हुए हैं।
नहीं के बराबर है यहां प्रदूषण
दरअसल, शहर के मुकाबले गांव में आबादी कम सघन है। दूसरा यहां शहर के मुकाबले ऊंची इमारते नहीं है और घर भी दूर-दूर बने हुए है। इसके अलावा शहरीकृत इलाकों के मुकाबले यहां हरियाली व खेत-खलिहान अधिक है। फैक्ट्रियां न के बराबर है और यातायात का दबाव भी कम है। जिसके कारण यहां प्रदूषण स्तर शहरीकृत इलाकों के मुकाबले कम है और लोग साफ व स्वच्छ हवा में सांस लेते हैं। जिसके कारण उनके फेफड़ों की स्थिति भी शहरीकृत इलाकों में जीवनयापन करने वाले लोगों के मुकाबले बेहतर है।
खानपान की बात करें तो गांव में आज भी पौष्टिक आहार का सेवन करते हैं। फास्ट फूड से आज भी वे लोग परहेज करते हैं। जहां तक कसरत की बात है, गांव में लोग शहरीकृत लोगों के मुकाबले मशीनों पर कम निर्भर हैं। लोग मशीन के बजाय हाथ से कपड़ों को साफ करना अधिक पसंद करते हैं। इसके अलावा मसाले व चटनी और मिक्सर ग्राइंडर में पीसने के बजाय हाथों से पीसने में यकीन करती है। ग्रामीण वासियों की स्वस्थ जीवनशैली काेरोना को अपने आसपास भी फटकने नहीं दी रही है।
विनय कौशिक (एसडीएम, नजफगढ़ सब-डिवीजन, दिल्ली) का कहना है कि कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सभी जरूरी एहतियात बरते जा रहे है। खास बात यह है कि लोगों का पूरा सहयोग मिल रहा है। बाजारों में भी मार्केट एसोसिएशन के साथ समय-समय पर बैठक कर उन्हें सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। नियम का पालन करने के साथ लोगों अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखने के लिए खान-पान का पूरा खयाल रख रहे हैं।
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