बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल की गई ये वैक्सीन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने निमोसिल वैक्सीन लांच करते हुए कहा कि इस अहम वैक्सीन को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शमिल किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारत में हर साल 2.6 करोड़ बच्चे पैदा होते हैं और 20 प्रतिशत बच्चे निमोनिया की चपेट में आ जाते हैं।
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इसी सप्ताह निमोसिल वैक्सीन लांच करते हुए कहा कि इस अहम वैक्सीन को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शमिल किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारत में हर साल 2.6 करोड़ बच्चे पैदा होते हैं और पांच साल से कम आयु के करीब 20 प्रतिशत बच्चे निमोनिया की चपेट में आ जाते हैं।
वर्ष 2018 में पांच साल से कम आयु के 68 हजार बच्चों की मौत इसी निमोनिया की वजह से हो गई थी। देश में अभी तक बच्चों को निमोनिया से बचाव के लिए जो वैक्सीन दी जाती है, वह गावी वैक्सीन अलांयस के सहयोग से प्राप्त टीका है।
भारत ने निमोनिया की पहली स्वदेशी वैक्सीन निमोसिल लांच की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत जैसे उन देशों में टीके को आसानी से मुहैया कराने की दिशा में बड़ी कामयाबी है, जहां लोगों की आमदनी कम है। यह नई वैक्सीन बच्चों को निमोकोकल रोगों के खिलाफ लंबे वक्त तक सुरक्षा देगी।
निमोकोक्कल ऐसा संक्रमण है, जो बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह निमोनिया होने की बड़ी वजहों में से एक है। निमोकोकल रोग से दुनियाभर में पांच साल से कम आयु के बच्चों के लिए खतरा बना रहता है। गौरतलब है कि भारत ने बाल टीकाकरण में लगातार प्रगति की है, जिसकी तस्दीक हाल ही में जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5 (2019-2020) के पहले चरण के जारी आंकड़े भी करते हैं।
पहले चरण में गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम, बंगाल, तेलगांना आदि 22 राज्य व पांच केंद्र शासित क्षेत्र शमिल हैं, जहां देश की करीब 70 करोड़ आबादी बसती है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के मुताबिक इनमें से 17 राज्यों व पांचों केंद्र शासित क्षेत्रों में 12-23 माह के 70 प्रतिशत से अधिक बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण हो चुका है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) व सर्वे-5 के बाल टीकाकरण आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि इन चार वर्षो में 22 राज्यों में से 11 ने बाल टीकाकरण में खास प्रगति की है। इस प्रगति का श्रेय काफी हद तक सरकार की मिशन इंद्रधनुष योजना को जाता है, जो सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना को करीब छह साल हो गए हैं और इसका मकसद 90 प्रतिशत तक संपूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय अन्य मंत्रलयों का सहयोग भी ले रहा है।
भारत ने हाल ही में नौ माह से लेकर 15 साल तक की आयु के बच्चों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान चलाया जिसमें 30 करोड़ बच्चों को कवर किया गया। अभी तक जो आंकड़े सामने आए हैं, वे यह दर्शाते हैं कि कुछ हद तक सरकारी योजनाओं से लक्षित लाभार्थी लाभान्वित हो रहे हैं। मिसाल के तौर पर सरकार का जोर संस्थागत प्रसव यानी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव कराने पर है, ताकि मां व बच्चा दोनों की जिंदगी बचाई जा सके। किशोरावस्था में गर्भधारण करने वाले मामलों में भी गिरावट दर्ज की गई है।
स्तनपान के आंकड़ों में आया सुधार उत्साहवर्धक है। जहां तक हमारे देश में महिला सशक्तीकरण का सवाल है, तो इन 22 राज्यों की तस्वीर बताती है कि बीते चार वर्षो में बैंकों में खाता खोलने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है। यह वृद्वि दर 26 से 77 प्रतिशत है। (अलका आर्य, सामाजिक मामलों की जानकार)
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