Coronavirus : अब नहीं चेते तो पांव पसारेगा कोरोना, प्रदूषण करेगा प्रहार
कोरोना संक्रमण ने जिस तरह से देश में हालात किए हैं इस बार तो सिर्फ दीपों के इस त्योहार को दीपोत्सव की तरह ही मनाने का समय है। दूसरी बात दिल्ली-एनसीआर कोरोना के साथ-साथ खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके वायु प्रदूषण से भी जूझ रहा है।
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। सामान्य दिनों में भी अगर घर में कोई अप्रिय घटना घट जाए तो लोग त्योहार नहीं मनाते हैं। इस वर्ष तो कोरोना महामारी ने अनगिनत परिवारों से अपनों को छीन लिया है। पूरा देश इस महामारी से जूझ रहा है। राजधानी में कोरोना संक्रमण चरम पर है। मौतों का आंकड़ा हर दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में यह समय जश्न मनाने का तो नहीं हो सकता है। हम डरा नहीं रहे, यथास्थिति से रूबरू करा रहे हैं। कोरोना संक्रमण ने जिस तरह से देश में हालात किए हैं इस बार तो सिर्फ दीपों के इस त्योहार को दीपोत्सव की तरह ही मनाने का समय है। दूसरी बात दिल्ली-एनसीआर कोरोना के साथ-साथ खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके वायु प्रदूषण से भी जूझ रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में पहुंच चुका है।
सरकार अपने स्तर पर इन दोनों समस्याओं से निपटने की कोशिश कर रही है। लेकिन हमारी भी तो जिम्मेदारी बनती है कि इसे कम करने में सरकार का सहयोग करें। कोरोना से बचने के उपाय हर किसी को पता हैं। बशर्ते नियमों का पालन तो करें। ठीक उसी तरह प्रदूषण रोकने के भी उपाय हैं। वर्तमान में इसका सबसे बेहतरीन उपाय यही है कि हम दीवाली पर किसी भी तरह के पटाखे न जलाएं। पटाखे, आतिशबाजी तो विदेश से आई परंपरा है जो धीरे-धीरे हमारे तीज-त्योहार में शामिल हो गई। इस परंपरा को मानने में भी कोई परेशानी नहीं लेकिन वर्तमान में जैसे हालात हैं तो हमारी सजगता, सहजता ही हमें सुरक्षित रख सकती है। सामान्य दिनों में आतिशबाजी करिए। फिलहाल तो सभी के लिए मुश्किल घड़ी है। हमें प्रदूषण और कोरोना दोनों से निपटना है।
कोरोना के लिए अनुकूल
इस माह अचानक कोरोना संक्रमण में तेजी का एक कारण प्रदूषण भी है। दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्र अधिक हो गई है। कोरोना वायरस से पीएम 2.5 का आकार 25 गुणा और पीएम 10 का सौ गुणा अधिक होता है। ये दोनों हवा में ही कोरोना के वायरस को सतह मुहैया करा रहे हैं। जब हम सांस लेते हैं तो पीएम 2.5 और पीएम 10 हमारे शरीर में जाते हैं और इसके साथ कोरोना का वायरस भी पहुंच जाता है। ये सीधे हमारी खून की नलियों में पहुंचते हैं, जो कि मरीजों के लिए घातक है। यही वजह है कि संक्रमण के साथ मौतों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है।
धुएं की वजह से फैलता है प्रदूषण और इसके कई स्नोत हैं। वाहनों और फैक्टियों के साथ रसोई से निकलने वाला धुआं तो आम दिनों में रहता है। इस मौसम में किसान पराली जलाते हैं जो प्रदूषण बढ़ने का प्रमुख कारण बन जाता है। लेकिन इन सब के साथ दीवाली पर आतिशबाजी प्रदूषण में कई गुणा तक इजाफा कर देती है। एक आकलन के मुताबिक पराली और पटाखों का धुआं 50 फीसद से अधिक प्रदूषण बढ़ाते हैं। अगर हम पटाखे न जलाएं तो प्रदूषण बढ़ने के एक कारक को तो निश्चित ही खत्म कर सकते हैं। विगत सालों में ऐसा देखा गया है कि सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाया लेकिन लोगों ने जमकर आतिशबाजी की। इससे नियमों का तो उल्लंघन हुआ ही, प्रदूषण को भी बढ़ावा मिला।
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