Delhi Air Pollution: इस बार फाल्गुन महीने में वायु प्रदूषण ने बदला रंग
Delhi Air Pollution इस बार मार्च के 31 में से 21 दिन प्रदूषित हवा वाले रहे हैं। इनमें 19 दिन खराब श्रेणी वाले जबकि दो दिन बेहद खराब श्रेणी वाले रहे। सिर्फ नौ दिन ही हवा मध्यम श्रेणी में रही।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। इस बार फाल्गुन में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के नए रंग देखने को मिले। पांच साल के दौरान पहली बार ऐसा हुआ है कि मार्च में भी दिल्ली और एनसीआर के 2 करोड़ से अधिक लोग दमघोंटू हवा में सांस लेने को विवश हुए। इसके पीछे मुख्य वजह बारिश की बेरुखी और देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से की धूल का वह गुबार बताया जा रहा है, जो अमूमन अप्रैल में आता है, लेकिन इस बार समय पूर्व ही आ गया है।
दिल्ली में पांच वर्ष के दौरान पहली बार मार्च में हुआ इतना प्रदूषण
गौरतलब है कि फाल्गुन मास की शुरुआत के साथ ही गर्मी की भी दस्तक हो जाती है। गर्मी में कोहरा और नमी छंटने लगती है और प्रदूषण घटने लगता है। बीच-बीच में होने वाली बारिश भी वातावरण में जमे प्रदूषक तत्वों को हटा देती है। इसी वजह से सर्दियों में डीजल जेनरेटर पर लगी रोक भी इस दौरान हटा ली जाती है, लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग ही है।
फाल्गुन में गर्मी की दस्तक के साथ ही आने लगती है इसमें कमी
जानकारी के मुताबिक इस बार मार्च के 31 में से 21 दिन प्रदूषित हवा वाले रहे हैं। इनमें 19 दिन खराब श्रेणी वाले, जबकि दो दिन बेहद खराब श्रेणी वाले रहे। सिर्फ नौ दिन ही हवा मध्यम श्रेणी में रही। 2017 से लेकर अभी तक इतना प्रदूषण पहले कभी नहीं रहा। पिछले साल तो यह माह काफी साफ रहा था।
जल्दी हटाई गईं डीजल जेनरेटर पर रोक
डॉ. दीपांकर साहा (सदस्य, विशेषज्ञ समिति, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय) के मुताबिक, उत्तर-पश्चिमी भारत की जो धूल आमतौर पर अप्रैल में दिल्ली आती है, वह मार्च में ही यहां पहुंच गई। इसीलिए वातावरण से धूल के कण अभी तक नहीं छंटे हैं। इसके अलावा डीजल जेनरेटर पर जल्द रोक भी नहीं हटनी चाहिए थी। वहीं स्थानीय कारक तो दिल्ली के प्रदूषण में अपनी भूमिका निभाते ही रहे हैं।