दिल्ली के वायु प्रदूषण में इजाफा करने के पीछे का एक बड़ा कारण ये भी हैं, आप भी जानें
सड़कों की धूल प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है। सड़कें टूटी होती हैं तो यह समस्या और बढ़ जाती है। दिल्ली-एनसीआर में अनेक स्थानों पर सड़कें टूटी हैं और ठीक से सड़कों की सफाई नहीं होती है। धूल उड़ती है जो प्रदूषण का एक कारक बनती है।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। टूटी और गंदी सड़कों से उत्पन्न होने वाली धूल दिल्ली के प्रदूषण में इजाफा कर रही है। बावजूद इसके, इसे रोकने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए जाते हैं। इस ओर कार्रवाई तब शुरू होती है जब दिल्ली में प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है। दिल्ली देश की राजधानी है, देश के किसी हिस्से से या विदेश से कोई यहां आता है तो सबसे पहले ध्यान यहां की सड़कों पर जाता है। मगर इसे विभागों की लापरवाही ही कहा जाएगा कि सरकार के तमाम दिशा निर्देशों के बाद भी अनेक इलाकों में सड़कें बारह महीने ऊबड़-खाबड़ रहती हैं। टूटी सड़कें प्रदूषण का कारण बन रही हैं, क्योंकि आमतौर पर सड़कों के जर्जर होने पर उसकी जल्द मरम्मत नहीं की जाती, जिसके कारण धूल उड़ती है और यातायात जाम भी लगता है। शहर के मुख्य इलाकों को अगर छोड़ दें तो राजधानी के बाहरी इलाकों में सड़कों पर धूल पर नियंत्रण के उपाय नजर नहीं आते हैं।
दिल्ली में सड़कों के रखरखाव का काम मुख्य रूप से लोक निर्माण विभाग, तीनों नगर निगम, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, छावनी बोर्ड के पास है। इसके अलावा कुछ सड़कें डीडीए के पास भी हैं। कुल मिलाकर राजधानी में 33 हजार किलोमीटर लंबी सड़कें हैं। इनकी ठीक से सफाई न होना भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार बन रहा है। सरकारी इंतजाम की बात करें तो इतने बड़े क्षेत्र में एजेंसियों को मिलाकर मात्र 69 मैकेनिकल स्वीपर हैं, जो पर्याप्त नहीं है। वहीं फ्लाईओवरों की भी ठीक से सफाई नहीं होती। सड़कों व फ्लाईओवरों पर मौजूद धूल प्रदूषण का बड़ा कारण है। सड़कों पर धूल से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए भी ठीक से इंतजाम नहीं किए जाते हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो सड़कों पर होने वाले धूल प्रदूषण को रोकने के लिए सड़कों के मध्य भाग से लेकर सड़कों के दोनों किनारों पर पेड़ पौधे लगाए जाने चाहिए। सड़कों के मध्य भाग यानी डिवाइडर पर भी पर्याप्त हरियाली होनी चाहिए, मगर दिल्ली के बाहरी इलाकों में हरियाली कहीं नजर नहीं आती है। शहर के मुख्य भागों में हरियाली दिखती भी है तो पर्याप्त नहीं होती है। हालांकि सड़कों का रखरखाव करने वाले विभाग दावे तो बहुत करते हैं, मगर काम उस हिसाब से नहीं होता है। वहीं जनता में भी इस बारे में जागरुकता का अभाव है। कई जगह लोग भी सड़कों पर हरियाली को नुकसान पहुंचाते हैं।
सड़कों की धूल प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है। सड़कें टूटी होती हैं तो यह समस्या और बढ़ जाती है। दिल्ली-एनसीआर में अनेक स्थानों पर सड़कें टूटी हैं और ठीक से सड़कों की सफाई नहीं होती है। अब होता क्या है कि जब वाहन वहां से गुजरते हैं तो धूल उड़ती है जो प्रदूषण का एक कारक बनती है। टूटी सड़कों की नियमित मरम्मत, उनकी सफाई होनी चाहिए। सुबह के समय ही सड़कों की सफाई हो जानी चाहिए, जिससे धूल नहीं रहे। सड़कों पर पानी का छिड़काव होना चाहिए। सड़कों के दोनों ओर पेड़ लगें, डिवाइडर पर घास, झाड़ियां सही तरीके से लगाई जाएं। मतलब, सड़कों के बीच में या किनारों पर कोई जमीन खाली नहीं रहे। घास और पेड़ पौधे धूल को अपने ऊपर ले लेते हैं। इससे धूल का प्रदूषण कम होता है।
भारत में धूल बहुत है। उसका एक कारण यह है कि उत्तर भारत में राजस्थान का बालू वाला क्षेत्र पड़ता है। दूसरा हमारी जो जमीन है यह गंगा-यमुना दोआब की है। यहां मिट्टी में बालू अधिक है। इसलिए भी धूल उड़ती है। आंधी में और ज्यादा धूल आ जाती है। लेकिन, अगर आप दक्षिण भारत में जाएं तो वहां की पठारी मिट्टी है, जो वजन में भारी है। वह आसानी से हवा में नहीं मिलती है। इसलिए वहां धूल कम है। ऐसे अगर आप विदेश में जाएं तो वहां भी पठारी जमीन है, वहां धूल होती ही नहीं है। वहां आप एक सप्ताह तक कपड़े पहने हैं तो धूल से गंदे नहीं होंगे। जबकि दिल्ली-एनसीआर में एक दिन में खराब हो जाते हैं। हमारे यहां यह भौगोलिक समस्या है तो उसके लिए यह एहतियात करना बहुत जरूरी है। तापमान अधिक होता है और मौसम अच्छा होता है, इसलिए समस्या नहीं आती है।
(एस. के. त्यागी, पूर्व अपर निदेशक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड)