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टारगेटेड थेरैपी से ठीक किया थर्ड स्टेज का कैैंसर, मरीज को मौत के मुंह में निकाला

60 वर्षीय मरीज रमेश चंद पिछले 40 साल से सिगरेट-बीड़ी का इस्तेमाल करते आ रहे थे। वह कैंसर से बेपरवाह थे। बगैर धुआं उड़ाए उन्हें चैन नहीं आता था।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Thu, 27 Jul 2017 12:50 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jul 2017 04:09 PM (IST)
टारगेटेड थेरैपी से ठीक किया थर्ड स्टेज का कैैंसर, मरीज को मौत के मुंह में निकाला
टारगेटेड थेरैपी से ठीक किया थर्ड स्टेज का कैैंसर, मरीज को मौत के मुंह में निकाला

नोएडा [ जेएनएन ]। विश्व हेड एंड नेक कैंसर दिवस (27 जुलाई) से पहले फोर्टिस के डॉक्टरों ने टारगेटेड थेरैपी की मदद से तीसरे स्टेज में पहुंच गए कैंसर के एक मरीज को ठीक करके उसे नई जिंदगी का तोहफा दिया है।

फोर्टिस के डॉक्टरों ने बताया कि 60 वर्षीय मरीज रमेश चंद पिछले 40 साल से सिगरेट-बीड़ी का इस्तेमाल करते आ रहे थे। वह कैंसर से बेपरवाह थे। बगैर धुआं उड़ाए उन्हें चैन नहीं आता था। वर्ष 2015 में उनका कैंसर तीसरे स्टेज में पहुंच गया था, लेकिन पहले उन्होंने कभी जांच नहीं कराई थी।

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इस दौरान उनके मुंह में छाले थे। कुछ भी मुंह से पीने व निगलने में परेशानी महसूस कर रहे थे। इस स्थिति को डिस्फेगिया कहते हैं। मरीज की वैलेक्यूला बायोप्सी की गई। कैंसर की जानकारी होने के तुरंत बाद रमेश ने तंबाकू उत्पादों का सेवन बंद कर दिया। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें टारगेटेड थेरैपी देना शुरू किया।

क्या है टारगेटेड थेरैपी 

यह एक रेडिएशन थेरैपी है, जिसे देने पर सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को ही नष्ट करती है। यह रेडिएशन कैंसर कोशिकाओं को ही टारगेट करके दिया जाता है। इसलिए इसे टारगेटेड थेरैपी कहते हैं।

फोर्टिस अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास गोस्वामी कहते हैं कि कीमोथेरैपी व अन्य थेरैपी में कैंसर कोशिकाओं के साथ हमारी स्वस्थ कोशिकाएं भी नष्ट होने लगती हैं। मरीज को ठीक होने में भी ज्यादा समय लगता है। कमजोरी अधिक आ जाती है। इस लिहाज से हेड एंड नेक कैंसर में टारगेटेड थेरैपी अधिक उपयोगी है।

दुनिया के 50 फीसद से अधिक हेड व नेक कैंसर के रोगी भारत में

फोर्टिस अस्पताल के डॉ. गगन सैनी (सीनियर कंसल्टेंट, रेडिएशन ऑन्कोलोजी) के अनुसार भारत में दुनिया के 50 फीसद से अधिक हेड व नेक कैंसर के रोगी हैं। यह कैंसर तंबाकू, पान मसाला व सुपाड़ी से होता है। अगर तंबाकू का सेवन बंद कर दिया जाए तो इसका रोकथाम व उपचार करना आसान हो जाता है।

क्‍या है लक्षण

1- मुंह में छाले पडऩा

2- आवाज का बैठ जाना

3- कुछ भी खाने-पीने या निगलने में परेशानी महसूस करना

4- गले में दर्द रहना

अन्य अहम बातें

1- नकली दांत लगाने से होने वाला क्रोनिक अल्सर कैंसर का कारण बन सकता है।

2- बीड़ी-सिगरेट के साथ शराब सेवन करने वालों को कैंसर का खतरा 40 फीसद तक बढ़ जाता है।

3- तंबाकू का सेवन छोडऩे से कैंसर का खतरा 50 फीसद से अधिक कम हो जाता है।

4- प्री-कैंसर यानि बीमारी का शुरुआत में पता लगने पर इलाज अधिक कारगर है। इसलिए समय पर स्क्रीनिंग जरूर कराएं।

5- सुपाड़ी व पान मसाला से भी कैंसर होता है।






 


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