आटोमोटिव उद्योग में इन दिनों एडीएएस की हो रही खूब चर्चा, जानिए क्या है और कैसे करता है काम?
आटोमोटिव उद्योग में इन दिनों एडीएएस की खूब चर्चा हो रही है। अब आप सोच रहे होंगे कि एडीएएस क्या है तो आपको बता दें कि यह एडवांस्ड ड्राइवर-असिस्टेंस सिस्टम है जो गाड़ी चलाते समय लोगों को पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित महसूस करा सकता है।
नई दिल्ली, अमित निधि। जरा सोचिए, आप तेज गति से गाड़ी चला रहे हैं और अचानक कोई जानवर या गाड़ी सामने आ जाए, तो क्या होगा। ऐसी स्थिति में अचानक ब्रेक लगाने का प्रयास करेंगे। पर यदि ब्रेक नहीं लग सके, तो बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है। इन परिस्थितियों में एडीएएस (एडवांस्ड ड्राइवर-असिस्टेंस सिस्टम) बड़े काम का हो सकता है। यह ड्राइवर को आगामी खतरों को लेकर विजुअल और साउंड के जरिए एलर्ट करता है। अगर ड्राइवर इन एलर्ट पर ध्यान नहीं देते हैं, तो एडीएएस सिस्टम एक चरण आगे बढ़ते हुए आटोमैटिकली गाड़ी का ब्रेक लगा देता है। वैसे, भारतीय सड़कों पर दुर्घटना आम बात है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में तकरीबन 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.5 लाख लोगों की जान चली गई। ऐसे में आटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए भी लोगों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है।
महिंद्रा ने हाल ही में जहां एडीएएस के साथ अपना पहला मास-मार्केट व्हीकल लांच किया, तो वहीं एमजी मोटर्स ने भी इसी सेफ्टी फीचर्स के साथ एस्टर को बाजार में उतारा है। एक्सयूवी 700 और एस्टर दोनों ही अडैप्टिव क्रूज कंट्रोल, हाई बीम असिस्ट, ट्रैफिक साइन रिकाग्निशन, आटोमैटिक इमर्जेंसी ब्रेकिंग जैसी सुविधाओं से लैस हैं। उम्मीद है कि अन्य कार निर्माता भी इसकी पेशकश शुरू कर देंगे। फिलहाल भारत में एडीएएस बाजार प्रारंभिक अवस्था में है। हालांकि सुरक्षित ड्राइविंग की जरूरत को देखते हुए इसका बाजार बढ़ रहा है।
क्या है एडीएएस : एडीएएस एक ऐसा सिस्टम है, जो गाड़ी को कुछ अतिरिक्त क्षमताओं से लैस करता है। कई कंपनियां अपनी कारों में लेवल-1 एडीएएस और लेवल-2 एडीएएस देती हैं। आपको बता दें कि एडीएएस का लेवल जितना ज्यादा होगा, उसकी क्षमता उसी हिसाब से बढ़ती चली जाएगी। एडीएएस कैमरों और सेंसर की मदद से कार्य करता है। यह गाड़ी के चारों तरफ की स्थिति को स्कैन कर आनबोर्ड कंप्यूटर को जरूरी एक्शन लेने के लिए निर्देश देता है। यह साइन बोर्ड और स्पीड मार्किंग को भी पहचान सकता है।
एडीएएस की चुनौतियां
- एडीएएस उस स्थिति में बेहतर तरीके से कार्य करता है, जब सिस्टम अच्छे कैमरे, सेंसर और एडवांस कंप्यूटिंग क्षमताओं से लैस हो। अगर कैमरे और सेंसर बेहतर क्वालिटी के नहीं होंगे, तो इससेपरफार्मेंस पर असर पड़ सकता है
- एडीएएस के लिए जरूरी है कि सड़कें अच्छी हों। यह सड़कों पर मौजूद लाइन व अन्य मार्किंग को पहचान और पढ़ सकता है। सड़कों पर मौजूद मार्किंग इसकी क्षमता को और बेहतर बनाते हैं। अगर सड़कों पर मार्किंग नहीं है, तो इसकी क्षमता प्रभावित हो सकती है
- एडीएएस फीचर सड़कों की स्थिति से संबंधित रियल टाइम डाटा जुटाता है, जो परफार्मेंस को बेहतर बनाता है। भारत में अभी कम ही कारों में एडीएएस दिया गया है, ऐसे में इस फीचर के पास सड़कों की स्थिति का पूरा डाटा नहीं है
अडैप्टिव क्रूज कंट्रोल: यह एक ऐसी इंटेलीजेंट प्रणाली है, जो चालकों को गाड़ी चलाते समय वाहनों के बीच की दूरी को बनाए रखने में मदद करती है। अगर आप चाहें, तो गाड़ी में पहले से कोई गति सीमा सेट कर सकते हैं, लेकिन यह सिस्टम आगे चल रही गाड़ी को पहचान कर गति को स्वचालित तरीके से कम और ज्यादा कर देती है। साथ ही, आगे वाली गाड़ी से निश्चित दूरी भी बनाए रखती है। अगर आगे चल रही गाड़ी की गति बढ़ती है, तो यह सिस्टम आटोमैटिकली कार की गति को बढ़ा देगी। इसका सिस्टम ट्रैफिक साइन बोर्ड को भी पहचान सकता है। सिस्टम साइन बोर्ड और स्पीड लिमिट को पढ़कर उसी हिसाब से गति को नियंत्रित कर सकता है। एसीसी सिस्टम लेजर सेंसर पर आधारित होते हैं। इसमें रडार सेंसर, डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर आदि शामिल होते हैं। सिस्टम को इंजन के साथ एकीकृत किया जाता है।
लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम: यह भी एक उपयोगी फीचर है। अगर आप एडीएएस सिस्टम द्वारा दी गई वार्निंग को नजरअंदाज करते हैं, तो यह सिस्टम लेन पर ट्रैफिक नहीं होने की पुष्टि के बाद गाड़ी को फिर से लेन पर ले आता है। इस फीचर की मदद से गाड़ी को अपनी लेन में बनाए रखने में मदद मिलती है। इससे सड़कों पर टकराव की स्थिति नहीं बनती है। यदि गाड़ी अपनी लेन से बाहर होने लगती है, तो यह सिस्टम आडियो-विजुअल एलर्ट देता है। इसके लिए सिस्टम रियर-व्यू मिरर के पास लगे एक छोटे कैमरे का उपयोग करता है, जो लेन से संबंधित साइन को आसानी से पहचान लेता है।
फारवर्ड कालिजन वार्निंग सिस्टम : यह इलेक्ट्रानिक सिस्टम गाड़ी को सड़क पर टकराने से बचाता है। जैसे ही सिस्टम को पता चलता है कि गाड़ी किसी वस्तु से टकरा सकती है, यह ड्राइवर को सूचित करता है। इस लेटेस्ट तकनीक में वार्निंग सिस्टम रडार, लेजर और कैमरे होते हैं। टकराव से संबंधित किसी भी खतरे को लेकर चेतावनी आडियो, विजुअल आदि के जरिए दी जाती है।
टायर प्रेशर मानिटरिंग सिस्टम: सड़क पर वाहन के सस्पेंशन और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए टायर का प्रेशर एक महत्वपूर्ण पैरामीटर हो सकता है। असमान टायर प्रेशर की वजह से माइलेज, अधिक उत्सर्जन, टायर की रनिंग लाइफ से संबंधित समस्याएं आने लगती हैं। टायर की खराबी से गंभीर सड़क दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है।
ऐसी स्थिति में टायर प्रेशर मानिटरिंग सिस्टम महत्वपूर्ण हो सकता है। ये दो प्रकार के होते हैं- इनडायरेक्ट और डायरेक्ट। इनडायरेक्ट टीपीएमएस सिस्टम टायरों के आरपीएम (रिवोल्यूशन प्रति मिनट) को मापते हैं। यदि कोई यूनिक आरपीएम पहियों में पता चलता है, तो सिस्टम द्वारा ड्राइवर को सूचित किया जाता है। डायरेक्ट टीपीएमएस सिस्टम प्रत्येक टायर से जुड़े प्रेशर सेंसर होते हैं, जो टायर के अंदर वास्तविक दबाव की रीडिंग देते हैं।
पार्किंग असिस्टेंस सिस्टम : यह फीचर सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले एडीएएस सिस्टम में से एक है। फिलहाल कई गाड़ियों में यह सिस्टम मौजूद है। गाड़ी को टकराव से बचाने के लिए उपयोगी होता है। इसके लिए आमतौर पर अल्ट्रासोनिक सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है। बाधा का पता लगाने के लिए पार्किंग असिस्टेंट सिस्टम को गाड़ी के आगे और पीछे के बंपर पर लगाया जाता है। पार्किंग के दौरान विजुअल असिस्टेंस प्रदान करने के लिए इस रियर कैम को सिस्टम के साथ एकीकृत किया जाता है।
एआइ पर्सनल असिस्टेंट : एमजी मोटर्स ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) के साथ पर्सनल असिस्टेंट (पीए)को पेश किया है। इससे ड्राइवर बातचीत कर सकता है। एमजी का एआइ-पावर्ड पीए चुटकुले सुना सकता है, पूछे जाने पर जानकारी के लिए इंटरनेट सर्च कर सकता है और यहां तक कि बात करने पर आपकी तरफ भी देख सकता है। एमजी का कहना है कि पीए समय के साथ सीखेगा और यह एक दिलचस्प फीचर बन जाएगा। आने वाले समय में अन्य कार निर्माता भी इसे पेश करेंगे। कांटिनेंटल भी एआइ चैटबाट्स पर काम कर रहा है, जो समान कार्य करेगा।